इंदौर। देश (India) में कुरीतिओं (evil practices) के ख़िलाफ़ चल रही मुहिम में इंदौर (indore) शहर में हाल ही में शादी (marriages) के सीजन में एक एनजीओ (NGO) ने जिला प्रशासन व ग्राम पंचायत (District Administration and Gram Panchayat) की मदद से 57 बाल विवाह (57 child marriages) रोकने में सफलता हासिल की।
नाकाम किये गए बाल विवाहों के आंकड़ों पर प्रकाश डालते हुए, एएएस फाउंडेशन ने बताया कि एक वर्ष में 57 बाल विवाह रद्द किये हैं। इन 57 विवाहों में से पिछले एक वर्ष में जिला प्रशासन की मदद से सात बाल विवाह तथा ग्राम पंचायत की मदद से सामुदायिक परामर्श के माध्यम से 50 बाल विवाह रोके गए।
बाल विवाह वाली यह रिपोर्ट इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की शोध टीम द्वारा तैयार की गई है। एएएस और बाल संरक्षण निधि 2030 तक देश से बाल विवाह को समाप्त करने के लिए बाल विवाह मुक्त भारत के सहयोगी संगठन के रूप में काम कर रहे हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, इंदौर में बाल विवाह की दर 21.7 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 23.3 है।
संगठन ने सरकार से अपील की है कि दोषियों को सजा दिलाई जाए, ताकि लोगों में बाल विवाह के खिलाफ कानून का डर पैदा हो। मौजूदा दर के अनुसार, भारत में बाल विवाह के लंबित मामलों को निपटाने में 19 साल लग सकते हैं। आईसीपी की रिपोर्ट ‘टुवर्ड्स जस्टिस: एंडिंग चाइल्ड मैरिज’ में बाल विवाह को समाप्त करने के लिए देश भर की न्यायिक प्रणाली द्वारा तत्काल कदम उठाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में देशभर में बाल विवाह के कुल 3,563 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से केवल 181 मामलों का ही सफलतापूर्वक निपटारा किया जा सका। यानी लंबित मामलों की दर 92 फीसदी है। मौजूदा दर से इन 3,365 मामलों को निपटाने में 19 साल लगेंगे।
एएएस के निदेशक वसीम इकबाल ने कहा, ‘भारत बाल संरक्षण की यह रिपोर्ट कानूनी कार्रवाई और अभियोजन के महत्व को स्पष्ट रूप से रेखांकित करती है। हम बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि परिवारों और समुदायों को इस बात की जानकारी हो कि बाल विवाह एक अपराध है। इसके अलावा, जहां बाल विवाह को रोकने के लिए अनुनय-विनय काम नहीं आती, वहां हम कानूनी हस्तक्षेप का उपयोग करते हैं। कानून का प्रवर्तन बाल विवाह को समाप्त करने की कुंजी है और हम सभी को इसके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है।’
राज्य में बाल विवाह रोकने के लिए असम सरकार की कानूनी रणनीति के प्रभावी परिणामों पर चर्चा करते हुए बाल विवाह मुक्त भारत के संयोजक रवि कांत ने कहा, ‘यह रिपोर्ट साबित करती है कि बाल विवाह को खत्म करने में कानूनी कार्रवाई की सबसे निर्णायक भूमिका है और असम मॉडल सही दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब हमें इसे आगे बढ़ाने और पूरे देश में लागू करने की जरूरत है ताकि बच्चों के खिलाफ अपराध खत्म हो सकें।’
रवि कांत ने आगे कहा, ‘ऐसे मामलों में दोषसिद्धि की बहुत कम दर चिंता का विषय है। वर्ष 2022 में बाल विवाह के केवल 11 प्रतिशत मामलों में दोषसिद्धि हुई, जबकि इसी अवधि में बच्चों के खिलाफ अन्य अपराधों में दोषसिद्धि दर 34 प्रतिशत रही। यह बाल विवाह के मामलों में गहन जांच और अदालती सुनवाई की आवश्यकता को रेखांकित करता है। यह एक निवारक के रूप में कार्य करने के अलावा समुदायों को यह संकेत भी देगा कि बाल विवाह एक गंभीर अपराध है जिसके कड़े कानूनी परिणाम हैं।’
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