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    567 IAS ने छिपाई अपनी अचल संपत्ति

  • April 24, 2022

    • बेअसर रही प्रधानमंत्री मोदी की अपील…नहीं रहा विजिलेंस कार्रवाई का डर
    • मध्यप्रदेश के दो आईएएस ने भी नहीं दी अपनी संपत्ति की जानकारी

    भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद भी सभी आईएएस अधिकारियों ने अपनी अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया। देश में 567 आईएएस अधिकारी ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी अचल संपत्ति छिपा ली। इन अधिकारियों ने अचल संपत्ति रिटर्न आईपीआर भरने से गुरेज किया। इनमें मप्र के भी दो आईएएस अधिकारी हैं। से हैं 2012 बैच के संतोष कुमार वर्मा जो अभी जेल में हैं। वहीं दूसरी हैं 2015 बैच की रानी बंसल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों से आईपीआर दाखिल करने की अपील की थी। इसका भी लोक सेवकों पर कोई असर नहीं हुआ। उसके बाद विजिलेंस कार्रवाई का भय दिखाया गया। लेकिन यह तरीका भी बेअसर रहा। खास बात है कि 32 आईएएस तो ऐसे हैं, जिन्होंने तीन साल से अधिक समय की आईपीआर दाखिल नहीं की है।


    आईपीआर दाखिल करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म
    विभाग से संबंधित कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति के चेयरमैन सुशील कुमार मोदी द्वारा पिछले दिनों संसद में पेश की गई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। इस कमेटी में लोकसभा व राज्यसभा के 31 सदस्य शामिल थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 567 आईएएस अधिकारियों ने 2018 से 2021 के दौरान आईपीआर जमा नहीं कराई। इस रिपोर्ट को हर साल 31 जनवरी तक जमा कराना जरूरी है। केंद्र सरकार ने कई वर्ष पहले च्आईपीआरज् दाखिल करने के लिए च्ऑनलाइन प्लेटफार्मज् तैयार कर दिया था।

    सीधी भर्ती वाले भी आईपीआर भरने से बच रहे
    रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में 135 आईएएस ने आईपीआर जमा नहीं कराई। 2019 में ऐसे अधिकारियों की संख्या 128, 2020 में 146 आईएएस और 2021 में 158 आईएएस ने आईपीआर फाइल करने से पूरी तरह गुरेज किया। खास बात ये है कि सीधी भर्ती से आईएएस में आए अधिकारी भी आईपीआर भरने से बच रहे हैं। दो साल से अधिक समय तक आईपीआर नहीं दाखिल करने वाले अफसरों की संख्या 64 रही है। तीन साल से जिन आईएएस ने आईपीआर नहीं भरी, उनकी संख्या 44 है। तीन साल से ज्यादा समय तक आईपीआर भरने से बचने वाले लोकसेवकों की संख्या 32 है।

    विजिलेंस क्लीयरेंस का भय नहीं रहा
    केंद्र सरकार ने आईएएस अधिकारियों के लिए (ए) प्रस्ताव सूची में शामिल करने के उद्देश्य से सतर्कता मंजूरी लेना अनिवार्य किया है। (बी) पैनल में या (सी) में कोई भी प्रतिनियुक्ति, जिसके लिए केंद्र सरकार की मंजूरी आवश्यक है, उस वक्त संबंधित अधिकारी की विजिलेंस क्लीयरेंस देखी जाती है। यदि कोई अधिकारी पिछले वर्ष की अपनी वार्षिक अचल संपत्ति रिटर्न अगले वर्ष की 31 जनवरी तक जमा करने में विफल रहता है, तो उसे सतर्कता मंजूरी से वंचित कर दिया जाएगा। वर्ष 2020 के लिए आईपीआर दाखिल नहीं करने वाले त्रुटिपूर्ण आईएएस अधिकारियों पर कार्रवाई के संबंध में, एआईएस (आचरण) नियम, 1968 के नियम 16 (2) के तहत कार्रवाई करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों को दोषी अधिकारियों की सूची अग्रेषित की गई थी। संबंधित वेतन नियमों में संशोधन के माध्यम से संबंधित एआईएस के अगले उच्च ग्रेड में पदोन्नति प्रदान करने के लिए भी आईपीआर समय पर जमा करना एक अनिवार्य शर्त है।

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