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    566 अवैध व्यावसायिक निर्माण भी कान्ह-सरस्वती नदी किनारे चिह्नित

  • June 28, 2024

    • नोटिस मिलने पर हटाए जा रहे रहवासियों ने शुरू किया विरोध, मुआवजा राशि की भी मांग, आज करेंगे अहिल्या प्रतिमा पर प्रदर्शन और प्रार्थना

    इंदौर। कान्ह और सरस्वती नदी किनारे 3 हजार से अधिक अवैध निर्माण और अतिक्रमणों को प्रशासन ने पिछले दिनों चिन्हित किया, जिनमें से 1600 से अधिक कच्चे निर्माणों को पहले हटाने का निर्णय लिया। वहीं 566 अवैध व्यवसायिक निर्माण भी चिन्हित किए गए हैं। दूसरी तरफ नोटिस मिलने और अवैध कब्जे हटाने की कार्रवाई के पहले ही रहवासियों ने मोर्चा खोला और मुआवजे की तो मांग की ही साथ ही घर रक्षा समिति के बैनर तले आज 4 बजे राजवाड़ा पर देवी अहिल्या के चरणों में धरना प्रार्थना का भी आयोजन किया जा रहा है। कल भी इन रहवासियों ने प्रदर्शन किया, जिसमें आसपास की कॉलोनियों के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे। हालांकि कबूतरखाना झुग्गी बस्ती के 303 परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के मकानों में शिफ्ट करने की प्रक्रिया भी नगर निगम ने शुरू कर दी है। मगर अधिकांश लोग इन मकानों में शिफ्ट होने को तैयार नहीं है।

    सिंहस्थ 2028 की तैयारियों के चलते उज्जैन की क्षिप्रा को गंदगी-प्रदूषण से मुक्त किया जाना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसके लिए जहां कड़े निर्देश दिए, वहीं क्षिप्रा शुद्धिकरण प्रोजेक्ट भी बनाया। उसके साथ ही कान्ह और सरस्वती नदी को भी अतिक्रमणमुक्त साफ-सुथरा किया जाना है, क्योंकि इसी का गंदा पानी क्षिप्रा नदी में जाकर मिलता है। यही कारण है कि पिछले दिनों कलेक्टर आशीष सिंह ने कान्ह और सरस्वती नदी के किनारों और कैचमेंट एरिया में बने अतिक्रमण, निर्माणों को सूचीबद्ध भी करवाया, जिसमें लगभग 3 हजार अतिक्रमण पाए गए हैं, जिनमें 1659 तो पक्के मकान मिले हैं, तो 1341 कच्चे मकान, टीनशेड पाए गए। इनमें भी 2320 निर्माण आवासीय श्रेणी के, तो 566 व्यवसायिक श्रेणी के मिले हैं। 16580 लोग इस पूरी प्रक्रिया से प्रभावित होंगे। सबसे अधिक अवैध व्यवसायिक निर्माण 121 शिवाजी मार्केट, शांतिपथ, नारायणसिंह सपूत, मच्छी मार्केट में पाए गए, तो 57 व्यवसायिक निर्माण हेमिल्टन रोड, जूना तुकोगंज, गणेश कॉलोनी और लोखंडे पुल पर मिले। वहीं 15 निर्माण भागीरथपुरा, तो 54 निर्माण मोती तबेला, साउथ और नॉर्थ हरसिद्धी, प्रिंस यशवंत रोड, पंढरीनाथ, पागनीसपागा, आलापुरा, चंद्रभागा, नंदलालपुरा में है, तो 48 निर्माण छावनी पुराना हाट मैदान, कलाली मोहल्ला, श्रद्धानंद मार्ग, नई अनाज मंडी के पास, नर्सिंग टेकरी,चर्च कम्पाउंड, श्रद्धानंद मार्ग, हार्डिया कम्पाउंड, लुनियापुरा, नसियारोड, हाथीपाला, रावजी बाजार में मिले। वहीं तीन व्यवसायिक बिजलपुर, मार्तण्ड नगर में, तो इसी तरह राजाबाग, विजय पैलेस, बदरीबाग, लालबाग, नंदनगर, ब्रुक बॉण्ड कॉलोनी, बारह खम्भा में पाए गए हैं, तो 26 निर्माणों को चितावद, पालदा, संवाद नगर, चिडिय़ा घर के पीछे, सादन नगर, फिरदोस नगर, पारसी मोहल्ला में चिन्हित किया गया है, तो 11 निर्माण नई बस्ती पालदा, बनवारी नगर, संजय गांधी नगर, शिव-पार्वती नगर, बृज बिहार कॉलोनी, कुह्मारभट्टी, चितावद, भावना नगर में मौजूद हैं।

    कलेक्टर आशीष सिंह के मुताबिक इन सभी निर्माणों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा। अभी शुरुआत में कच्चे मकान, टीन शेड को हटाएंगे और रहवासियों को प्रधानमंत्री आवास योजना में शिफ्ट भी किया जाएगा। दूसरी तरफ हटाए जाने वाले रहवासियों ने कल प्रदर्शन किया, जिसमें भागीरथपुरा, कुलकर्णी से लेकर हरसिद्धी, तोड़ा, धोभीघाट, भाट मोहल्ला, गुरुनानक सहित अन्य के रहवासी मौजूद रहे। अपना घर रक्षा समिति ने भी इस कार्रवाई का विरोध किया और आज सद्बुद्धि प्रार्थना का आयोजन भी किया जाएगा और देवी अहिल्या के चरणों में धरना भी देंगे। हालांकि प्रशासन अपनी कार्रवाई एनजीटी आदेश के तहत भी कर रहा है। एनजीटी द्वारा लगातार नदी और अन्य स्त्रोतों के 30 मीटर के दायरे में काबिज अतिक्रमणों, अवैध निर्माणों को हटाने के निर्देश दिए हैं और लगातार होने वाली समीक्षा बैठक में भी इसकी जानकारी ली जाती है। घर रक्षा समिति के संयोजक संजय भाटिया का कहना है कि तानाशाही रवैये के चलते नदी के दोनों तरफ 30-30 मीटर के दायरे में आने वाले निर्माणों को तोडऩे का निर्णय लिया गया है। जबकि एनजीटी के उपदेशों में भी लिखा गया है कि विस्थापित करने से पहले उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। वहीं जिन दुकानों में लोग सालों से कारोबार कर रहे हैं उन्हें भी रोजी-रोटी से वंचित किया जा रहा है। विरोध करने वालों ने तो यह भी आरोप लगाए कि बरसाती नाले को रिकॉर्ड में नदी के रूप में दर्ज कर दिया है और इसके खिलाफ हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की जाएगी।

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