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    घर में ही ठीक हो गए 555 मरीज

  • August 06, 2020


    – होम आइसोलेशन में 1 हजार मरीज…एक बड़े अस्पताल का काम कर गया
    – 90 दिनों में 1005 मरीजों का इलाज… 421 अब भी घरों में ही… केवल 29 को अस्पताल भेजना पड़ा
    इंदौर। कोरोना के शुरुआती महीने में पूरे देश में बढ़ते मरीजों के कारण सुर्खियों में आए इंदौर ने जिस गति से कोरोना के नियंत्रण के साथ ही इलाज में भी अपना कीर्तिमान स्थापित किया, उसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि बीते 90 दिनों में इंदौर शहर के 1 हजार से अधिक मरीजों का इलाज घर बैठे-बैठे ही किया गया और उनमें से 555 ठीक होकर घर जा चुके हैं और 421 अब भी घरों में रहकर अपना इलाज करा रहे हैं… होम आइसोलेशन की इस सफलता ने इंदौर शहर में एक ऐसे बड़े अस्पताल का काम कर दिखाया, जिसमें 400 से 500 बेड होते हैं और बड़ी तादाद में स्वास्थ्यकर्मियों की नियुक्ति से लेकर डाक्टरों और पीपीई किट से लेकर तमाम तरह के खर्च का बोझ सरकार पर पड़ता है।
    देर आयद दुरुस्त आयद… 24 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन के बाद निकले मरीजों को दनदनाती एम्बुलेंसों का घर-घर जाना… आतंक मचाना… और मरीजों को किसी आतंकवादी की तरह अस्पताल लाना… घर के लोगों को क्वारेंटाइन सेंटर पहुंचाना और पूरे इलाके को सील कर दहशत फैलाने जैसे कामों के बाद जैसे-जैसे समय बीतता गया, वैसे-वैसे सरकार से लेकर स्वास्थ्य एजेंसियों ने कोरोना को पढ़ा, समझा और बीमारी के इलाज के साथ ही भय का भी इलाज करना शुरू किया… एक माह के अध्ययन के बाद मेडिकल एजेंसियों को समझ में आया कि अधिकांश मरीज ए सिप्टोमैटिक यानी बिना लक्षण के आ रहे हैं… इनका इलाज साधारण तरीकों से किया जा सकता है और एहतियात इतनी ही आवश्यक है कि मरीज दूसरे लोगों के संपर्क में न आए, इसलिए होम आइसोलेशन की प्रक्रिया शुरू की गई… इस पद्धति से न केवल कोरोना का इलाज आसानी से संभव हो पाया, बल्कि अस्पतालों में बढ़ती मरीजों की तादाद में भी कमी आई… साथ ही मरीजों के मन में कोरोना के प्रति दहशत का भाव भी घटा और लोग खुद होकर जांच कराने के लिए आगे आना शुरू हुए… होम आइसोलेशन की इस पद्धति का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि किसी एक बड़े अस्पताल की क्षमता से भी ज्यादा मरीजों का इलाज घर में ही हो गया और अब भी हर दिन निकलने वाले मरीजों में से कई मरीज अस्पताल के बजाय घरों में ही इलाज करा रहे हैं…

    25 प्रतिशत मरीज अब भी हर दिन अस्पतालों से बच रहे हैं
    पिछले 15 दिनों का अगर विश्लेषण करें तो हर दिन निकलने वाले करीब 25 प्रतिशत मरीजों का इलाज होम आइसोलेशन के जरिए घरों में ही हो रहा है और लगभग इतने ही मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज हो रहे हैं… 20 जुलाई को शहर में 70 नए कोरोना मरीजों में से 29 मरीजों को होम आइसोलेट किया गया… इसी दिन 12 मरीज डिस्चार्ज भी किए गए… 21 जुलाई को 114 मरीज निकले, जिनमें से 29 को होम आइसोलेट किया गया… 22 जुलाई को 118 मरीजों में से 24 मरीजों को, 23 जुलाई को 118 मरीजों में से 35 मरीजों को होम आइसोलेट किया गया… जबकि 24 जुलाई को निकले 153 मरीजों में से 20 होम आइसोलेट किए गए… 25 जुलाई को एक साथ 159 मरीज जांच में पाए गए, इनमें से 24 मरीज होम आइसोलेट किए गए… 26 जुलाई को 127 मरीज आए, जिनमें से 29 का इलाज घरों में शुरू हुआ…इसी दिन 11 मरीज डिस्चार्ज भी किए गए, जिनमें 3 कैदी भी शामिल थे…यह तीन दिन इंदौर के लिए भारी रहे जब एक साथ निकले 425 से अधिक मरीजों ने शहर की धडक़नें बढ़ा दीं…27 जुलाई को 73 मरीज निकले, जिनमें से 37 मरीज होम आइसोलेट किए गए…28 जुलाई को 74 मरीज निकले, जिनमें से 26 मरीज होम आइसोलेट किए गए…इसी तरह 29 जुलाई को 24 मरीज, 30 जुलाई को 25 मरीज, 31 जुलाई को 27 मरीज, 1 अगस्त को 20 मरीज, 2 अगस्त को 24 मरीज, 3 अगस्त को 20 मरीज, 4 अगस्त को 7 मरीज होम आइसोलेट किए गए… इस तरह 90 दिनों में 1005 मरीज होम आइसोलेट किए गए और इनमें से 555 डिस्चार्ज किए जा चुके हैं…अब केवल 421 निगरानी में हैं। इनमें से केवल 29 को हास्पिटल भिजवाना पड़ा।


    घर में ही इलाज  से डर भी मिटा और संक्रमण भी घटा
    कोरोना की बीमारी से ज्यादा कोरोना के इलाज का डर लोगों में समाया हुआ है… दरअसल कोरोना संक्रमित मरीज को अस्पताल ले जाए जाने के बाद उसका घर और परिवार से नाता टूट जाता है…वह अपनी व्यथा घरवालों के साथ साझा नहीं कर पाता है…इन दिनों में अस्पतालों मेें भी अव्यवस्था थी… मरीजों की तकलीफों का तत्काल निदान नहीं हो पा रहा था और कई मरीज दहशत के मारे ही दिल की बीमारी से मौत का शिकार हो गए…इसी के साथ अस्पतालों में कोरोना संक्रमण के कारण ए सिप्टोमैटिक मरीज भी गंभीर स्थिति में होते चले गए… शुरुआती महीने में इसी कारण मरीजों के साथ ही मौत की तादाद भी बढ़ी… लेकिन होम आइसोलेट के बाद मरीजों को जहां घर मिला, वहीं विश्वास भी बढ़ा और घर के लोगों द्वारा ही साज-संभाल के कारण मरीज तेजी से ठीक होते चले गए…

    27 अप्रैल को गाइड लाइन, 1 मई को कंट्रोल रूम बना और 5 मई से इलाज शुरू
    मार्च और अप्रैल माह में कोरोना और मरीजों के विश्लेषण के उपरांत केंद्र ने 27 अप्रैल को होम आइसोलेशन यानी घरों से ही इलाज की गाइड लाइन राज्यों को भेजी और इंदौर ने 3 दिन में ही 1 मई को कंट्रोल रूम बनाकर 5 मई से मरीजों का इलाज करना शुरू कर दिया…इस कंट्रोल रूम से घर में इलाज करा रहे लोगों के स्वास्थ्य की पल-पल जानकारी लेते हुए उन्हें इलाज की हिदायतें दी जाती हैं…यह कंट्रोल रूम 24 घंटे मरीज के साथ जुड़ा रहता है और किसी भी गंभीर परिस्थिति में मरीज को तत्काल अस्पताल पहुंचा देता है…

    इंदौर के पास ही है होम आइसोलेशन ऐप
    पूरे देश में इंदौर ने होम आइसोलेशन का एक ऐसा मोबाइल ऐप बनाया है, जिसमें मरीज या उनके परिजन हर घंटे की स्वास्थ्य रिपोर्ट डाउनलोड करते हैं और कंट्रोल रूम में बैठी डाक्टरों की टीम सतत रूप से उसका निरीक्षण कर मरीज को परिस्थिति अनुसार दवाइयां देती रहती है…

    बच्चों के डॉक्टर को सौंपा होम आइसोलेशन का जिम्मा…
    जिला प्रशासन के मुखिया कलेक्टर मनीषसिंह ने कोरोना के इलाज में हाईटेक पद्धति का इस्तेमाल करते हुए जहां कांटेक्ट ट्रेसिंग से लेकर सर्वे और इलाज की व्यवस्थाओं के लिए एक बड़ी टीम तैनात करते हुए एसजीएसआईटीएस में कंट्रोल रूम बनवाया, वहीं जिला पंचायत अधिकारी रोहित सक्सेना को पूरी जिम्मेदारी सौंपकर कोरोना नियंत्रण के लिए हाईटेक अभियान शुरू किया… यहां से होम आइसोलेशन नियंत्रण का काम शुरू हुआ, जिसका जिम्मा मेडिकल कालेज के एचओडी और चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय के सुप्रिंटेंडेंट डॉ. हेमंत जैन को सौंपकर सुनील गंगराड़े को नोडल अधिकारी बनाते हुए चिकित्सकों की टीम तैनात की… इस पूरी टीम ने मरीजों का हौसला बढ़ाते हुए इस बात का विश्वास दिलाया कि उनका इलाज न केवल घरों में संभव है, बल्कि किसी भी कठिन परिस्थिति में उन्हें तत्काल अस्पताल की सुविधा दिलाई जा सकेगी…

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