लंदन। रोजाना उपयोग में आने वाली ज्यादातर चीजें प्लास्टिक के पैकेट (Plastic packet) में आ रही हैं, जिससे हम इस्तेमाल करने के बाद फेंक देते हैं उसे हम सिंगल यूज प्लास्टिक (Single use plastic) कहते हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक (Single use plastic) से पर्यावरण को भारी नुकसान(Heavy damage to the environment) हुआ है। सिंगल यूज प्लास्टिक (Single use plastic) शहरों में जलभराव के लिए जिम्मेदार साथ ही सेहत के लिए बेहद खतनाक माना जाता है। कई प्रयास के बावजूद सिंगल यूज प्लास्टिक (Single use plastic) को बाजार से नहीं हटाया जा सका है। आज भी सिंगल यूज प्लास्टिक (Single use plastic) हमारे जीवन का अहम हिस्सा बना हुआ है। इसमें दुनिया के कई बड़े देश भी शामिल हैं। बड़े देशों की ओर से प्लास्टिक बनाने वाली कंपनियों को आर्थिक मदद पहुंचाई जाती है।
इसके अलावा सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि दुनिया भर में निकलने वाले इस तरह के सिंगल यूज प्लास्टिक (Single use plastic) कचरे का 90 फीसदी सिर्फ 100 कंपनियां पैदा कर रही हैं। वहीं दुनिया का आधे से ज्यादा कचरा सिर्फ 20 कंपनियां पैदा कर रही हैं और ये सभी पेट्रोकेमिकल(Petrochemical) से जुड़ी हैं। इनमें एक्सॉन मोबाइल(Exxon Mobile), अमेरिका की डाउ केमिकल्स (Dow Chemicals of America) और चीन की पेट्रो कंपनी सिनोपेक (China’s petrochemical company Sinopec) भी शामिल है। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, स्टॉकहोम एनवायरनमेंट इंस्टीट्यूट और मिंडेरू फाउंडेशन ने रिसर्च के दौरान सिंगल यूज प्लास्टिक के पीछे काम कर रहे कॉरपोरेट नेटवर्क को तहकीकात की। इसके लिए दुनिया भर में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों को कच्चा माल सप्लाई करने वाली एक हजार से ज्यादा कंपनियों का अध्ययन किया गया, जिनका इस्तेमाल पैकेजिंग, फूड रैपर्स, प्लास्टिक बॉटल और बैग्स बनाने में होता है, जिन्हें हम इस्तेमाल के बाद फेंक देते हैं, जो बाद में समंदर तक भी पहुंच जाते हैं। दूसरा चौंकाने वाला खुलासा यह है कि 20 संस्थान सिंगल यूज प्लास्टिक बनाने कंपनियों को 60 फीसदी वित्तीय सहायता दे रहे हैं। बार्कले, एचएसबीसी, बैंक ऑफ अमेरिका भी प्लास्टिक बनाने वाली कंपनियों को आर्थिक मदद दे रहे हैं। इन तीनों संस्थानों ने प्लास्टिक बनाने वाली कंपनियों को ढाई लाख करोड़ रुपए दे चुके हैं।