इंदौर। इन दिनों सभी सरकारी विभागों में ऑनलाइन सुविधा देने की होड़ मची है। यह बात अलग है कि अभी भी कागजी कार्रवाई से छुटकारा आम जनता को नहीं मिल सका है। एक तरफ नगर निगम अपने 90 लाख से अधिक दस्तावेजों को डिजीटल करने में जुटा है, तो दूसरी तरफ इंदौर विकास प्राधिकरण ने भी इसकी शुरुआत कर दी है और लगभग 55 लाख दस्तावेजों को डिजीटल करने का ठेका दिया जा रहा है। साथ ही ऑनलाइन पोर्टल की भी शुरुआत आज से अध्यक्ष द्वारा की जा रही है। एक हेल्प डेस्क भी बनाई गई है, जहां से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया करवाई जाएगी। दूसरी तरफ 38 हजार लीज नवीनीकरण, नामांतरण, फ्री होल्ड सहित अन्य प्रकरणों का निराकरण भी करवाया गया।
अभी कलेक्टर आशीष सिंह ने भी अपने कॉलोनी सेल को ऑनलाइन कर दिया है और इसके लिए कॉलोनाइजर रजिस्ट्रेशन और ऑनलाइन परमिशन सिस्टम क्रॉप्स के नाम से नया पोर्टल भी तैयार करवाया। दूसरी तरफ प्राधिकरण भी इस कार्य में जुटा है और अब पूरी कार्यप्रणाली डिजीटल की जा रही है। सीईओ आरपी अहिरवार के मुताबिक ऑनलाइन पोर्टल के जरिए फाइलों का मूवमेंट ऑटोमैटिक होगा और समय सीमा की रिपोर्ट भी लगेगी, जिसके चलते सम्पदा, भू-अर्जन शाखा सहित अन्य विभागों को समय सीमा में प्रकरणों का निराकरण करना पड़ेगा।
आज सुबह अध्यक्ष और संभागायुक्त दीपक सिंह ने इस ऑनलाइन पोर्टल का ट्रायल भी किया और आने वाली छुटपुट समस्याओं को दूर कर अगले माह अप्रैल से इसे लागू कर दिया जाएगा। कई आवेदक ऐसे भी आते हैं जिन्हें ऑनलाइन आवेदन करना नहीं आता। उनकी मदद के लिए हेल्प डेस्क भी सिंगल विंडो के पास बनाई गई है। जहां पर दो ऑपरेटर मौजूद रहेंगे और वे ऑनलाइन आवेदन जमा करेंगे। जिन लोगों को ऑनलाइन काम करना आता है वे प्राधिकरण के पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन ही लीज नवीनीकरण, नामांतरण, रजिस्ट्री, फ्री होल्ड से लेकर अन्य प्रकरणों में आवेदन कर सकेंगे, जिससे उन्हें तय समय सीमा में अपने आवेदनों की जानकारी ऑनलाइन भी ट्रैकिंग के जरिए प्राप्त होती रहेगी।
सीईओ श्री अहिरवार के मुताबिक बीते कुछ समय में लगातार लम्बित प्रकरणों को निपटाने का अभियान चलता रहा, जिसके चलते 40 हजार 496 आवेदन विभिन्न मामलों में प्राप्त हुए, जिनमें से 38436 प्रकरणों का निराकरण भी कर दिया है और अब सिर्फ 2060 प्रकरण ही लम्बित बचे हैं, जिसमें अलॉटमेंट, नामांतरण, रजिस्ट्री, लीज नवीनीकरण से लेकर फ्री होल्ड सहित अन्य प्रकरण शामिल हैं। कई आवेदकों के प्रकरणों का निराकरण तो सीईओ ने 24 घंटे में भी करवा दिया, क्योंकि पूर्व में आवेदकों को कई चक्कर प्राधिकरण दफ्तर के लगाना पड़ते हैं। इसमें भू-अर्जन शाखा द्वारा एनओसी देने से लेकर सम्पदा शाखा के प्राप्त होते हैं। प्राधिकरण का कहना है कि अब ऑनलाइन पोर्टल के साथ-साथ जितने भी दस्तावेज हैं उन्हें स्कैन कर सुरक्षित रखा जाएगा, ताकि आग लगने, फाइलों के गायब होने, घूमने आदि की शिकायतें भी समाप्त हो सके।
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