इंदौर। कौन बनेगा कुलपति… कई उम्मीदवार दौड़ में हैं, जिनमें ग्वालियर की मौजूदा कुलपति का नाम भी आगे बताया जा रहा है, लेकिन अभी उनके खिलाफ लगभग 55 करोड़ रुपए बिना स्वीकृति विश्वविद्यालय में खर्च किए जाने की न्यायिक जांच पूरी की गई है और आयोग के अध्यक्ष ने बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी है, जिसके चलते सूत्रों का कहना है कि अब इंदौर कुलपति बनने का उनका दावा खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। दूसरी तरफ सिलावट दम्पति भी दौड़ में है ही, जिनका खुलासा पिछले दिनों अग्निबाण ने भी किया था।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से निकटता के चलते जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर की कुलपति डॉ. संगीता शुक्ला का नाम इंदौर कुलपति के लिए तेजी से चल रहा था। वे 2014 से ग्वालियर में कुलपति हैं और दो कार्यकाल पूरे हो चुके हैं। लिहाजा वहीं पर तीसरी बार कुलपति नहीं बन सकती, इसलिए इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर उनकी दावेदारी मजबूत बताई जा रही थी। राज्यपाल से नजदीकी के अलावा वे मध्यप्रदेश के पूर्व डीजीपी रह चुके और वर्तमान में सीबीआई चीफ ऋषिकुमार शुक्ला की चचेरी बहन हैं, लेकिन अभी जीवाजी विश्वविद्यालय में लगभग 55 करोड़ रुपए के निर्माण कार्यों, जिसमें सिक्युरिटी एजेंसी को ठेका देने, कैटरिंग एजेंसी के ठेके में भ्रष्टाचार के संबंध में शासन स्तर पर शिकायतें हुई थी, जिसके बाद उच्च शिक्षा विभाग ने इन शिकायतों की जांच के लिए सेवानिवृत्त जज डॉ. अनिल पारे की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बना दी थी। इस कमेटी ने जांच-पड़ताल और संबंधित पक्षों के बयान लेकर लिफाफा बंद रिपोर्ट विभाग को सौंप दी है। चूंकि यह जांच कुलपति के कार्यकाल से ही संबंधित हैं, लिहाजा आर्थिक अनियमितता के आरोप उन पर भी लगे और जांच रिपोर्ट में अगर कुछ गड़बडिय़ां उजागर होती है, जिसके चलते अब उनका इंदौर कुलपति बनने का दावा खटाई में पड़ गया है। शिकायतकर्ताओं ने भी जिम्मेदारों पर ही बिना वित्तीय स्वीकृति 55 करोड़ रुपए खर्च करने के आरोप लगाए। छात्रों के हित की बजाय यह बड़ी राशि भवन निर्माण, गलत उपकरणों की खरीदी, कैटरिंग ठेके से लेकर अन्य मदों में की गई, जिसको लेकर ऑडिट आपत्तियां भी आई थी और उसी आधार पर फिर शासन ने न्यायिक जांच आयोग गठित किया। यह भी उल्लेखनीय है कि इंदौर कुलपति की दौड़ में काबिना मंत्री के भाई डॉ. सुरेश सिलावट और उनकी प्रोफेसर पत्नी डॉ. सुधा सिलावट के अलावा कई अन्य भी शामिल हैं। अब देखना यह है कि कौन बनेगा कुलपति।
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