नई दिल्ली। अफ्रीकी संघ (African Union) ने यूरोपीय यूनियन (European Union) के अपने ब्लॉक में यात्रा को मंजूरी देने के लिए भारतीय वैक्सीन कोविशील्ड (Indian Vaccine Covishield) को अपनी सूची में शामिल नहीं करने को लेकर आलोचना की है. अफ्रीकी संघ (African Union) ने कहा है कि यूरोपीय यूनियन (European Union) की ओर से भारत(India) में बनी एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड को मान्यता न देने (AstraZeneca’s Vaccine Covishield Not Recognized) से अफ्रीका में इस टीका को लगवाने वालों को नुकसान होगा.
अफ्रीकी संघ (AU), अफ्रीका रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने जारी एक संयुक्त बयान में कहा कि यूरोपीय यूनियन का नया नियम अफ्रीका में कोविशील्ड लगवाने वालों के लिए अन्याय वाला साबित होगा.
पुणे स्थिति सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने कोविशील्ड को तैयार किया है. गरीब और विकासशील देशों को कोरोना वैक्सीन मुहैया कराने की कोवैक्स पहल के तहत अफ्रीकी देशों में कोविशील्ड भेजा गया. लेकिन यूरोपीय यूनियन के नए नियम से भारतीयों के साथ साथ अफ्रीकी संघ के सदस्य देशों के नागरिकों के लिए भी नया संकट खड़ा हो गया है. खबरों के मुताबिक यूरोपीय यूनियन ने ब्लॉक में यात्रा करने के लिए यूरोपीय और गैर यूरोपीय नागरिकों को डिजिटल ग्रीन पास देने की घोषणा की है. जिन यात्रियों को ग्रीन पास मिला है उन्हें बिना रोक-टोक यूरोपीय यूनियन की यात्रा करने की इजाजत होगी. यूरोपीय यूनियन की तरफ से स्वीकृत वैक्सीन लगवाने वालों को ही ग्रीन पास मिलेगा. कोविशील्ड उन चार टीकों में शामिल नहीं है जिन्हें यूरोपीय यूनियन ने डिजिटल वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट के लिए मंजूरी दी है. 54 देशों के अफ्रीकी संघ ने अपने बयान में कहा कि कोविशील्ड को बाहर करने से अफ्रीकी यात्रियों के साथ भेदभाव होगा. संघ ने कहा कि यह नियम अफ्रीका में कोविशील्ड लगवाने वालों के न्यायसंगत इलाज को जोखिम में डालने जैसा है. यूरोपीय यूनियन की लिस्ट में AstraZeneca की वैक्सीन भी है. भारत में ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका सीरम इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर कोविशील्ड के नाम से वैक्सीन तैयार कर रही है. लेकिन यूरोपीय यूनियन ने कोविशील्ड को मंजूरी नहीं दी है. यूरोप में AstraZeneca की वैक्सीन अलग नाम से बन रही है जिसे वैक्सजेवरिया कहा जा रहा है. यूरोपीय यूनियन ने ग्रीन पास के लिए सिर्फ चार वैक्सीन को मंजूरी दी है. इनमें वैक्सजेवरिया (ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका), फाइजर-बायोनटेक एसई, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन शामिल है. हालांकि कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इस मसले पर कई देशों की तरफ से चिंता जताए जाने पर यूरोपीय यूनियन ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से मान्यता प्राप्त वैक्सीन लेने वालों को सर्टिफिकेट दिया जाएगा. इस बीच भारत ने भी यूरोपीय यूनियन के साथ इस मसले को उठाया है. भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इटली के मटेरा में जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक के इतर यूरोपीय यूनियन के विदेश मामलों के प्रतिनिधि योसेप बोरेल के साथ ग्रीन पास के मुद्दे को उठाया. भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्वीट किया, योसेप बोरेल के साथ हमारे संबंधों की एक व्यापक समीक्षा हुई. यूरोप की यात्रा के लिए कोविशील्ड को हरी झंडी देने का मुद्दा उठाया गया. आगे भी इस पर नजर बनाए रखेंगे. जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के लिए यूरोपीय यूनियन की आयुक्त जुट्टा उरपिलेनेन से भी मुलाकात की और कोरोना चुनौती और सबको टीका मुहैया कराने के संबंध में चर्चा की. इस दौरान यात्रा के लिए नई व्यवस्था पर बातचीत की गई.