इंदौर। रबी सीजन के दौरान मध्यप्रदेश में बिजली की खपत रिकॉर्ड स्तर पर रहती है, लेकिन नवंबर के आखिर में मावठे की बारिश के चलते बिजली की न्यूनतम खपत 15 दिन पहले 3200 मेगावाट पर आ गई थी, जो कि इस सीजन में 6500 मेगावाट को क्रॉस हो चुकी थी। अब एक बार फिर से किसानों ने सिंचाई के लिए मोटर पंप शुरू कर दिए हैं और बिजली खपत 5300 मेगावाट के करीब पहुंच चुकी है।
मौसम का अजब नजारा अभी भी जारी है। शीतलहर के दौर में तापमान नीचे आने का मन कम ही बना रहा है। इसलिए शहरी क्षेत्र में भी बिजली की डिमांड चार प्रतिशत ज्यादा हो रही है। वर्तमान में इंदौर शहर में रोजाना 425 मेगावाट तकरीबन 82 लाख यूनिट बिजली का उपयोग किया जा रहा है, वहीं मालवा-निमाड़ इंदौर-उज्जैन संभाग के 15 जिलों में 5300 मेगावाट, 8 करोड़ 15 लाख यूनिट बिजली का उपयोग हो रहा है। इसमें से 1700 मेगावाट बिजली सिंचाई में उपयोग की जा रही है। दरअसल 15 दिन पहले मावठे की बारिश से किसानों को भरपूर लाभ हुआ था। एक ओर जहां वाटर लेवल नीचे जाने के कारण ट्यूबवेल बंद हो रहे थे, उन्हें फौरी तौर पर राहत मिल गई तो दूसरी ओर एक साथ सभी फसलों पर बगैर मशक्कत के आसमान से अमृत समान बारिश हो गई थी। निश्चित ही मावठे से इस बार गेहूं का उत्पादन अच्छा आने की उम्मीद बंध गई है, वहीं अब बारिश के 15 दिन बीतने के बाद किसानों को गेहूं में सिंचाई की आवश्यकता लग रही है, इसलिए मोटर पंप शुरू हो रहे हैं। तकरीबन 30 प्रतिशत बिजली का लोड बढ़ गया है, इसलिए बिजली खपत भी 5300 मेगावाट के करीब पहुंच रही है।
4 से 5 दिनों में 1500 मेगावाट पर
जैसे-जैसे मोटर पंप सिंचाई के लिए किसान शुरू करेंगे, उसी अनुपात में बिजली की खपत लगातार बढ़ेगी। यानि एक सप्ताह में पूरी क्षमता के साथ मोटर पंप फसलों को पानी देंगे। ऐसे में बिजली की खपत मालवा-निमाड़ में 6500 मेगावाट को पार कर जाएगी, यानि एक सप्ताह में तकरीबन 1500 मेगावाट बिजली की मांग बढ़ेगी।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved