उज्जैन। शहरभर में संचालित हो रहे निजी व सरकारी प्ले स्कूलों की मान्यता का फैसला अब महिला एवं बाल विकास के पाले में हैं। प्ले स्कूल से लेकर केजी टू तक के नौनिहालों के भविष्य, स्वास्थ्य और सुरक्षा का जिम्मा विभाग को सौंपा गया है, लेकिन अधिकारी इसके प्रति गंभीर नहीं है। लगभग पांच सौ स्कूल जिले में संचालित किए जा रहे हैं, लेकिन केवल 22 का ही रजिस्ट्रेशन कराकर अधिकारियों ने कत्र्तव्य की इतिश्री कर ली है। तीन से छह साल तक के बच्चों के स्वास्थ्य, भविष्य और सुरक्षा पर सवालिया निशान लग रहे हैं। जिस विभाग को जिम्मेदारी दी गई, वह अब तक धड़ल्ले से बिना मान्यता के स्कूल संचालित कर रहे संस्थानों पर नकेल तक नहीं कस पा रहा है। जिले में लगभग 500 प्री स्कूल संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें प्ले स्कूल, केजी वन, केजी टू, नर्सरी के नाम से क्लासें संचालित हो रही हैं। खुद के अच्छे और बुरे की सोच से परे मासूमों की जान आफत में हैं। सरकार ने कुपोषण और बच्चों को पोषण आहार दिलाने के लिए जिम्मा महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंपते हुए निर्देश निकाले कि अब सभी प्ले स्कूलों के रजिस्ट्रेन इसी विभाग से किए जाएंगे, लेकिन विभाग के अधिकारियों की नाकाबिलियत के चलते अब तक सिर्फ 22 स्कूलों के ही रजिस्ट्रेशन हुए हैं।
शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर की इतिश्री
महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंपी गई जिम्मेदारी के बाद जोश-जोश में विभाग ने शुरुआती दिनों में काम किया, जिसमें कुछ स्कूलों ने खुद ही रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी कर ली। नामी गिरामी संस्थान हैं, ने रजिस्ट्रेशन करा लिया है, लेकिन अब भी ऐसे कई बड़े स्कूलों के नाम सामने आ रहे हैं, जिन्होंने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। विभाग के अधिकारियों ने जिला शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर अपने कत्र्तव्यों की इतिश्री कर ली, जबकि नियमानुसार सभी स्कूलों को नोटिस जारी किए जाने के बाद मान्यता निरस्त की जानी थी। हालांकि विभागीय सूत्रों का मानना है कि जिला शिक्षा विभाग और महिला बाल विकास विभाग के बीच नहीं बैठ रहे तालमेल के चलते मामला अटका पड़ा है। हालांकि महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि जा स्कूल बिना रजिस्ट्रेशन के चल रह हैं उनका सर्वे कराया जाएगा तथा कार्रवाई की जाएगी
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