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    शिप्रा को कान्ह के जहरीले पानी से बचाने के लिए 500 करोड़ की टनल बनेगी

  • February 10, 2022

    उज्जैन। मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी पानी को पावन और पवित्र बनाने के लिए अब सरकार 500 करोड़ रुपए की लागत से एक टनल बनाने की योजना बना रही है। यह टनल इंदौर की कान्ह नदी के बगल से बनाई जाएगी। इंदौर और देवास के उद्योगों का रसायन युक्त पानी बड़े पैमाने पर उज्जैन की शिप्रा नदी में कान्ह नदी के कारण मिलता है। इस पानी को रोकने के लिए सिंहस्थ के पहले कान्ह डायवर्शन योजना 100 करोड़ रुपए खर्च कर बनाई गई थी और इसे शुरू भी किया गया था। इसमें पाइप भी डाले गए लेकिन 4 साल बाद यह योजना पूरी तरह फेल हो गई है और शिप्रा में बड़े पैमाने पर अभी भी कान्ह नदी का पानी मिल रहा है।


    इसको देखते हुए संतों ने कुछ दिन पहले विरोध किया तो सरकार अब जागी है और कान्ह डायवर्शन योजना को भूलकर अब 500 करोड़ रुपए की लागत से टनल बनाने की योजना बनाई जा रही है। यह टनल कान्ह नदी के बगल से बनाई जाएगी और उज्जैन के आगे स्टॉप डेम बनाया जाएगा जहां इस पानी को छोड़ा जाएगा। जानकारी के अनुसार इंदौर की कान्ह नदी के जरिए सीवरेज और उद्योगों के रसायन युक्त पानी को उज्जैन के पास शिप्रा नदी में मिलने से रोकने के लिए करीब 25 किलोमीटर की यह टनल बनाई जाएगी। इसकी क्षमता 30 हजार लीटर प्रति सेकंड के हिसाब से जल प्रवाह की होगी। टनल की लागत 500 करोड़ के आसपास रहेगी। फिलहाल कान्ह नदी से निकलने वाले औद्योगिक पानी और रसायनों का अध्ययन कराया जा रहा है, इसमें यह देखा जा रहा है कि इन रसायनों से सीमेंट-कांक्रीट युक्त टनल को क्षति तो नहीं पहुंचेगी। बताया जा रहा है कि वर्तमान में सीवरेज के पानी को बांध तक पहुंचाने हेतु 5 हजार लीटर प्रति सेकंड के हिसाब से सिंहस्थ के दौरान लाइन डाली गई थी। इंदौर शहर में इस समय 10 हजार लीटर प्रति सेकंड पानी निकल रहा है जो 10 वर्ष में 30 हजार लीटर प्रति सेकंड तक होने का अनुमान है। भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए ही यह टनल बनाने की योजना सरकार बना सही है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने सिंहस्थ के पहले कान्हा डायवर्शन योजना का खूब ढोल पीटा था और 100 करोड़ के करीब रुपए जल संसाधन विभाग के माध्यम से खर्च करवाए थे लेकिन अब जब यह योजना फेल हो गई तो जनप्रतिनिधि इस योजना की बात ही नहीं कर रहे हैं जबकि इस मामले की और इस बड़े भ्रष्टाचार की बड़े पैमाने पर जांच होना चाहिए।

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