प्राधिकरण के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट को लगा नियमों का झटका, सुपर कॉरिडोर पर हाईराइज बिल्डिंगों के मापदंड ही तय नहीं, आज बोर्ड बैठक में अपील करने पर होगा निर्णय
इन्दौर, राजेश ज्वेल। अभी तक निजी कॉलोनाइजर (private colonizer) और बिल्डर ही मास्टर प्लान, भूमि विकास नियम से लेकर हाईराइज बिल्डिंगों के प्रावधान सहित अन्य विसगतियों के चलते परेशान होते रहे हैं, वहीं अब सरकारी कॉलोनाइजर यानी इन्दौर विकास प्राधिकरण कोभी इसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) द्वारा घोषित किए गए स्टार्ट अप पार्क का निर्माण भी नियमों की विसंगति के चलते फिलहाल खटाई में पड़ गया है। सुपर कॉरिडोर पर प्राधिकरण द्वारा 88 मीटर ऊंचा 27 मंजिला अत्याधुनिक स्टार्ट अप पार्क निर्मित कराया जाना है, जिसकी ड्राइंग, डिजाइन पिछले दिनों बोर्ड में मंजूर की गई और इसकी अनुमानित लागत 509 करोड़ रुपए आंकी गई, मगर इसका अभिन्यास यानी ले-आउट ही नगर तथा ग्राम निवेश ने नामंजूर कर दिया है।
आज प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में इस नामंजूर किए गए अभिन्यास की अपील शासन के समक्ष करने का निर्णय लिया जाएगा। अब प्राधिकरण ने सुपर कॉरिडोर की योजना 151 और 169-बी में शामिल 22 एकड़ जमीन पर इस स्टार्ट अप पार्क का प्रोजेक्ट तैयार किया है। इस हाईराइज बिल्डिंग के मिश्रित उपयोग के अंतर्गत स्थल अनुमोदन हेतु मप्र नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम, 2019 की धारा 28 सहपठित धारा 27(3) के तहत अब प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास के समक्ष अपील प्रस्तुत करना पड़ेगी। दरअसल, पिछले दिनों नगर तथा ग्राम निवेश के इन्दौर कार्यालय ने प्राधिकरण द्वारा प्रस्तुत किए गए स्थल अनुमोदन को नियमों की विसंगति के चलते नामंजूर कर दिया था। दरअसल, सुपर कॉरिडोर पर हाईराइज बिल्डिंगों के लिए कोई मापदण्ड ही मास्टर प्लान में निर्धारित नहीं हंै, जिसके चलते प्राधिकरण द्वारा स्टार्ट अप पार्क का जो प्रोजेक्ट तैयार किया गया, वह वर्तमान के मापदण्ड से मेल नहीं खाता है। दरअसल, सुपर कॉरिडोर पर तीन एफएआर को मान्य तो किया गया है, मगर मिश्रित उपयोग के साथ फ्रंट ओर साइड एमओएस की विसंगति छोड़ दी गई, जिसके चलते इन्दौर की सबसे ऊंची 27 मंजिला और लगभग 88 मीटर ऊंचाई के टावरों का निर्माण संभव नहीं है। इसके चलते नगर तथा ग्राम निवेश को अभिन्यास नामंजूर करना पड़ा और अभी तीन दिन पहले इन्दौर आए प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई के समक्ष यह मामला रखा गया और उन्होंने ही अपील करने की सलाह दी, जिसके चलते आज आयोजित प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में शासन के समक्ष अपील करने का निर्णय लिया जाएगा। हालांकि इसके लिए मास्टर प्लान में संशोधन करना पड़ेगा और उसकी प्रक्रिया लंबी भी है। इन्दौर क्रेडाई के सचिव संदीप श्रीवास्तव का कहना है कि इस संबंध में लगातार मांग पूर्व में भी की गई और क्रेडाई ने भी इस संबंध में सुझाव आवास एवं पर्यावरण मंत्रालय को सौंपे हैं। मिश्रित भू-उपयोग के साथ सुपर कॉरिडोर पर शासन को हाईराइज के मापदण्ड तय करना पड़ेंगे, अन्यथा ऊंचाई इमारतों का निर्माण इस 200 फीट चौड़ी सडक़ पर भी संभव नहीं हो पाएगा।
बिल्डिंग हाइट का आधा छोडऩा पड़ेगा फ्रंट एमओएस
सुपर कॉरडिोर पर हाईराइज के मापदण्ड अलग से तय नहीं किए और उल्टा तीन एफएआर मान्य कर रखा है। मगर, बिल्डिंग हाईट का आधा फ्रंट एमओएस छोडऩे की बाध्यता है। यानी, 90 हाईट की बिल्डिंग बनाना है, तो 45 मीटर का फ्रंट एमओएस छोडऩा पड़ेगा, यानी आधा प्लाट इसी में चला जाएगा और साइड एमओसी भी एक तिहाई छोडऩा अनिवार्य है। यानी, फ्रंट ओर साइड एमओएस इतना अधिक छोडऩे के बाद तीन एफएआर का इस्तेमाल ही संभव ही नहीं है। जिसके चलते इन प्रावधानों में संशोधन करना पड़ेगा, तब ही 90 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई की हाईराइज बिल्डिंगें सुपर कॉरिडोर पर निर्मित हो सकेंगी।
सुपर कॉरिडोर के भूखंडों का मिश्रित भू-उपयोग भी करना जरूरी
सुपर कॉरिडोर पर जहां अधिक निर्माण की मंजूरी बड़े हुए एफएआर के साथ दी गई है, वहीं 18 तरह के भू-उपयोग भी निर्धारित हैं। मगर, उसमें मिश्रित भू-उपयोग का प्रावधान नहीं किया और प्राधिकरण ने किसानों और जमीन मालिकों को एक-एक लाख या उससे बड़े भूखंड नकद मुआवजे के बदले सौंपे हैं, उसका भी भू-उपयोग कमर्शियल रखा है, जबकि मिश्रित भू-उपयोग का लाभ मिलना चाहिए, क्योंकि एक लाख स्क्वेयर फीट के भूखंड पर तीन लाख स्क्वेयर फीट से अधिक कंस्ट्रक्शन होगा और शत-प्रतिशत कमर्शियल निर्माण संभव नहीं है।
मास्टर प्लान में करना पड़ेगा अब शासन को संशोधन
मास्टर प्लान में वैसे तो जहां सुपर कॉरिडोर पर सबसे अधिक एफएआर दिया गया है, वहीं 18 तरह के अन्य उपयोग भी निर्धारित किए गए हैं, मगर जिस तरह मास्टर प्लान में कई तरह की विसंगतियां शासन ने छोड़ दी हंै और नया 2045 का मास्टर प्लान भी प्रक्रिया के दौर में है और अभी विधानसभा चुनाव के चलते उसके प्रारूप प्रकाशन की भी उम्मीद नहीं है, ऐसे में नए मास्टर प्लान के आने तक शासन को वर्तमान 2021 के मास्टर प्लान में भी आवश्यक संशोधन करना पड़ेंगे, ताकि इन्दौर के रियल एस्टेट कारोबार को और मदद मिल सके और स्टार्ट अप पार्क जैसे प्राधिकरण के भी प्रोजेक्ट अमल में लाए जा सकेें।
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