नई दिल्ली. भारत (India) में कोरोना वायरस के नए ओमिक्रॉन (omicron) वैरिएंट के 400 से भी ज्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं. ओमिक्रॉन संक्रमण (omicron infection) के 183 मामलों के विश्लेषण से पता चला है कि संक्रमित होने वाले करीब 50 फीसद लोग पूरी तरह से वैक्सीनेटेड थे. यानी 183 में से 87 लोग ऐसे थे जो वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके थे. इस विश्लेषण के नतीजे साझा करते हुए केंद्र ने शुक्रवार (Friday) को इस बात पर जोर दिया कि अकेले वैक्सीन के दम पर महामारी को रोकना मुश्किल है. मास्क और संक्रमितों (infected) की निगरानी से ही ट्रांसमिट हो रहे वायरस की चेन को तोड़ा जा सकता है.
यूनियन हेल्थ सेक्रेटरी राजेश भूषण द्वारा जारी किया गया ये विश्लेषण बताता है कि 18 मामलों (27 प्रतिशत) में विदेश यात्रा की कोई हिस्ट्री नहीं है. यह कम्यूनिटी में ओमिक्रॉन की मौजूदगी का संकेत है. इसमें ये भी बताया गया कि संक्रमितों में 87 लोग पूरी तरह से वैक्सीनेट थे. जबकि तीन लोग बूस्टर शॉट भी ले चुके थे. कुल 183 संक्रमितों में से केवल तीन अनवैक्सीनेट थे और दो लोगों ने पहली डोज ली थी. केंद्र द्वारा जारी विश्लेषण के मुताबिक, 73 लोगों के वैक्सीनेशन स्टेटस की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. जबकि 16 लोग वैक्सीनेशन के लिए इलिजिबल नहीं थे.
कोविड-19 टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. वीके पॉल ने चेतावनी देते हुए कहा, ‘यह स्पष्ट है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट के घरों में ट्रांसमिट होने का जोखिम डेल्टा से बहुत ज्यादा है. घर में एक ऐसा व्यक्ति इंफेक्शन लेकर आता है जिसने बाहर मास्क नहीं पहना था. ऐसे लोग घर में बाकी सदस्यों को संक्रमित करेंगे. ओमिक्रॉन में यह खतरा बहुत ज्यादा है. हमें अपने दिमाग में ये बातें बिठा लेनी चाहिए.’
विश्लेषण ये भी बताता है कि ओमिक्रॉन से संक्रमित करीब 70 फीसद मरीजों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है. ICMR के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि भारत में अभी भी डेल्टा वैरिएंट ज्यादा खतरनाक है. इसलिए हमें अभी भी वही रणनीति जारी रखने की आवश्यकता है. कोविड-19 के नियमों का पालन करें और वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ाएं. ऐसा जरूरी नहीं कि ओमिक्रॉन से संक्रमण में गंभीर लक्षण देखने को मिलें. भारत में डिटेक्ट हुए एक-तिहाई ओमिक्रॉन मामलों में हल्के लक्षण देखे गए हैं, जबकि बाकी मरीजों में किसी तरह का लक्षण नहीं है.’
शुक्रवार को डॉ. वीके पॉल ने प्राइवेट अस्पतालों से भी तैयार रहने की अपील की. उन्होंने कहा, ‘हेल्थ सिस्टम को पूरी तरह मुस्तैद रहने की जरूरत है. महामारी को नियंत्रित करने में प्राइवेट अस्पतालों की भूमिका काफी अहम रहेगी. हम उनसे दवाओं, ऑक्सीजन की उपलब्धता का ऑडिट करने का अनुरोध करते हैं. मानव संसाधन बहुत महत्वपूर्ण हैं. इस इंफ्रास्ट्रक्चर को चलाने के लिए हमें टीमों की जरूरत होगी. टीम बनाने और उन्हें प्रशिक्षित करने में सरकार द्वारा कड़ा प्रयास किया गया है. यही बात निजी क्षेत्र में भी समान रूप से लागू होती है.’
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