मुंबईः कैबिनेट विस्तार की अटकलों के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. सूत्रों की मानें तो दिल्ली में यह गुप्त बैठक हाल के दिनों में महाराष्ट्र में कई बार कैबिनेट विस्तार को टाले जाने के बाद हुई. उन्होंने कहा कि शिंदे-फडणवीस सरकार का कैबिनेट विस्तार अगस्त के पहले सप्ताह में होने की संभावना है.
सूत्रों ने बताया कि फडणवीस और शिंदे दोनों शनिवार शाम को अलग-अलग चार्टर्ड विमानों से दिल्ली पहुंचे और आधी रात के बाद मुंबई वापस चले गए. हालांकि, इसको लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. देचेंद्र फडणवीस और दिल्ली में भाजपा मुख्यालय दोनों ने शनिवार को ऐसी किसी भी बैठक से इनकार किया है. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार, जो एक हाई-वोल्टेज राजनीतिक ड्रामा के बाद सत्ता में आई थी, ने 30 जुलाई को अपने कार्यालय का 1 महीना पूरा कर लिया.
शिंदे कैबिनेट विस्तार में 50-50 फॉर्मूले पर अडिग, बीजेपी 60-40 फॉर्मूले पर अड़ी- सूत्र
फडणवीस और शिंदे ने इस महीने की शुरुआत में भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. तब राज्य में नई सरकार के गठन को लेकर चर्चा हुई थी. एकनाथ शिंदे कैबिनेट विस्तार में 50-50 फॉर्मूले पर अडिग हैं, जबकि बीजेपी 60-40 फॉर्मूले पर अड़ी है. सूत्रों ने कहा कि भाजपा से 27 मंत्री और शिंदे खेमे से 15 मंत्री होंगे, ऐसी संभावना है.
आपको बता दें कि शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे ने 30 जून को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. इसके एक दिन पहले उद्धव ठाकरे को शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बहुसंख्य विधायकों के विद्रोह के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के 55 में से 40 से अधिक विधायक हैं. अब भी विधायकों का उद्धव खेमे से पलायन जारी है. शिवसेना के बहुसंख्य विधायकों का समर्थन होने के चलते एकनाथ शिंदे की ओर से चुनाव आयोग में अपील दायर कर पार्टी के सिंबल पर दावा ठोका गया है. उद्धव गुट की ओर से इसका विरोध किया गया है. चुनाव आयोग ने दोनों खेमों को 8 अगस्त तक बहुमत साबित करने के लिए कहा गया है. उद्धव गुट ने चुनाव आयोग के इस निर्देश को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
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