नई दिल्ली। मणिपुर में जारी हिंसा के बीच केंद्र सरकार ने मैतेई समुदाय से जुड़े कुछ कट्टरपंथी संगठनों पर बैन लगा दिया है। सरकार ने ट्रैक रिकॉर्ड देखते हुए पीपल लिबरेशन आर्मी, यूनाइटेड नेशनल फ्रंट, मणिपुर पीपल आर्मी पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। उन्हें ऐसी गतिविधियों में सम्मिलित पाया गया है जो गैर कानूनी है, शांति के खिलाफ हैं और नुकसान पहुंचाने वाली हैं।
मणिपुर में नहीं थम रही हिंसा
इससे पहले भी मणिपुर में हिंसा रोकने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं। फिर चाहे वो सेना और सीआरपीएफ के जवानों का ज्यादा से ज्यादा तादाद में वहां पहुंचाना हो या फिर जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला हो। अभी के लिए जमीन पर मणिपुर में स्थिति कुछ सुधरी जरूर है, लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है। सीएम आवास के पास में जिस तरह से कई मौकों पर प्रदर्शन हो चुके हैं, जिस तरह से जब्त हथियारों को वापस हासिल करने के लिए उपद्रव मचाया गया है, उसने प्रशासन को चिंता में डाल दिया है।
पिछले कई महीनों से इसी तरह से हिंसा का दौर जारी है। एक वायरल वीडियो के बाद से शुरू हुआ बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। वैसे जिस विवाद की वजह से ये मणिपुर जल रहा है, वो कई साल पुराना है। पहले भी उसको लेकर तकरार हो चुकी है, लेकिन इस बार उसने भयंकर हिंसा का रूप ले लिया।
क्यों जल रहा है मणिपुर?
असल में मणिपुर में तीन समुदाय सक्रिय हैं- इसमें दो पहाड़ों पर बसे हैं तो एक घाटी में रहता है। मैतेई हिंदू समुदाय है और 53 फीसदी के करीब है जो घाटी में रहता है। वहीं दो और समुदाय हैं- नागा और कुकी, ये दोनों ही आदिवासी समाज से आते हैं और पहाड़ों में बसे हुए हैं। अब मणिपुर का एक कानून है, जो कहता है कि मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में रह सकते हैं और उन्हें पहाड़ी क्षेत्र में जमीन खरीदने का कोई अधिकार नहीं होगा। ये समुदाय चाहता जरूर है कि इसे अनुसूचित जाति का दर्जा मिले, लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं है।
हाल ही में हाई कोर्ट ने एक टिप्पणी में कहा था कि राज्य सरकार को मैतेई समुदाय की इस मांग पर विचार करना चाहिए। उसके बाद से राज्य की सियासत में तनाव है और विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है।
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