जबलपुर। सेवानिवृत्त प्राचार्य द्धारा बढ़े हुए वेतनमान को लाभ व उसके अनुसार पेंशन नहीं दिये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट के याचिका दायर की थी। याचिका की सुनवाई के दौरान पूर्व में पारित आदेश का पालन करते हुए अस्सिटेंट कमिश्रर आदिवासी कल्याण विभाग उपस्थित हुए परंत जवाब पेश नहीं किया गया। हाईकोर्ट के जस्टिस एसए धर्माधिकारी ने अस्सिटेंट कमिश्नर पर पांच हजार की कॉस्ट लगाते हुए याचिका पर अगली सुनवाई 21 फरवरी को निर्धारित की है।
याचिकाकर्ता एसपी गौतम की ओर से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि वह आदिवासी कल्याण विभाग में पदस्थ थे। साल 2016 में विद्या निकेतल हायर सेकेण्डरी स्कूल अनूपपूर से प्रार्चाय के तौर पर सेवानिवृत्त हुए थे। विभाग द्वारा 4 व 5 वें वेतनमान को लाभ नहीं दिये जाने के खिलाफ उन्होने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने साल 2010 में उनके पक्ष में आदेश जारी किया था। आदेश में परिपालन के लिए सिर्फ कागजी कार्यवाही का दौर चलता रहा और इस दौरान व सेवानिवृत्त भी हो गये। याचिका पर पूर्व में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने पाया था कि कई अवसर देने के बावजूद भी जवाब पेश नहीं किया गया। न्यायालय ने अनूपपूर में पदस्थ अस्सिटेंट कमिश्नर को तलब किया था। न्यायालय के आदेश पर अस्सिटेंट कमिश्नर तो उपस्थित हुए परंत उनकी ओर से जवाब पेश नहीं किया गया। जिसे गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने कॉस्ट लगाते हुए जवाब पेश करने समय प्रदान किया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजेश चंद्र तथा अधिवक्ता सुबोध अग्रवाल उपस्थित हुए।
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