इन्दौर। सैद्धांतिक रूप से हालांकि शासन ने पहले ही निर्णय ले लिया था कि लॉकडाउन के दौरान पूरी तरह से बंद रहे बारों की पांच माह की लाइसेंस फीस माफ की जाएगी। कल कैबिनेट ने भी इस पर मोहर लगा दी। अप्रैल से लेकर अगस्त तक की लाइसेंस फीस बियर बारों की माफ की गई है।
पहले शराब ठेकेदारों का विवाद चलता रहा, जिसके चलते नए सिरे से ठेके सभी जिलों में दिए गए। उसके बाद कफ्र्यू और लॉकडाउन की अवधि की बारों की लाइसेंस फीस माफ करने की मांग भी उठी। एफएल-2 बार लाइसेंस की सालाना फीस 15 लाख रुपए और एफएल-3 लाइसेंस की फीस 20 लाख रुपए है। हालांकि इंदौर में अधिकांश होटल और बारों ने पिछले दिनों 6-6 माह की ही लाइसेंस फीस जमा की थी और उपायुक्त आबकारी राजनारायण सोनी के मुताबिक अब एक माह की फीस और ली जाएगी। वहीं जिन बारों ने 100 प्रतिशत राशि जमा की थी, उन्हें 5 माह की राशि रिफंड करेंगे। इधर कल भोपाल में हुई कैबिनेट बैठक में जहां कई निर्णय लिए गए, वहीं 1 अप्रैल से 31 अगस्त तक बार लाइसेंस फीस में छूट देने के फैसले को भी अनुमोदित किया गया। वाणिज्य कर विभाग ने 10 नवम्बर को इस संबंध में आदेश जारी किया था, जिस पर कैबिनेट ने सहमति की मोहर लगा दी। इसी तरह मंत्रि-परिषद ने भोपाल तथा इंदौर शहर में मेट्रो रेल परियोजना के क्रियान्वयन के लिये भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनव्र्यवस्थापन के लिये पात्रता आव्यूह के संबंध में निर्णय लिया। भोपाल-इंदौर मेट्रो रेल परियोजना के क्रियान्वयन के लिए पुनर्वास नीति की रूपरेखा जिसके अंतर्गत पात्रता आव्यूह जिसमें भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम 2013 से बेहतर/समकक्ष प्रतिकर और पुनर्वास और पुनव्र्यवस्थापन का फायदा प्रावधानित है, के आधार पर भूमि अधिग्रहण, पुनव्र्यवस्थापन की कार्रवाई प्रथमत: मध्यप्रदेश शासन की आपसी सहमति से भूमि क्रय नीति 2014 के अंतर्गत की जाएगी।
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