उज्जैन। भरतपुरी स्थित जिला पंजीयन विभाग द्वारा साल 2000 से 2015 तक की सभी पुरानी मैन्युअल रजिस्ट्रियों के दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन किया जाएगा। इसके लिए दस्तावेज स्कैन करने के काम भी शुरू हो गया है। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक उज्जैन में 5 लाख से ज्यादा मैन्युअल रजिस्ट्री के रिकॉर्ड को डिजिटल फॉर्मेट में बदला जाएगा। आगामी तीन से चार माह में यह काम पूरा हो जाएगा। इससे विभाग के साथ आमजन को कई फायदे होंगे। उल्लेखनीय है कि पंजीयन विभाग में वर्ष 2015 से ऑनलाइन रजिस्ट्री व्यवस्था शुरू हुई थी। यानि अगस्त 2015 से मैन्युअल रजिस्ट्री की जगह ई-रजिस्ट्री शुरू हो गई है। मैन्युअल रजिस्ट्री को बंद करने के बाद संपदा सॉफ्टवेयर की मदद से ई-रजिस्ट्री के लिए सर्विस प्रोवाइडर स्लॉट बुक कर रजिस्ट्री करते हैं। नई व्यवस्था से लोगों के समय की बचत हो रही है।
जबकि पहले लोगों को रजिस्ट्री कराने के लिए घंटो इंतजार करना पड़ता था। इसके बाद से ही पंजीयन विभाग द्वारा लगातार डिजिटलाइजेशन पर जोर दिया जा रहा है। संपदा एक सॉफ्टवेयर में लगातार अपग्रेडेशन के चलते कई सुविधाएं पक्षकारों को मिलने लगी है। रजिस्ट्री होते ही नामांतरण के लिए लिंक भी राजस्व विभाग में चली जाती है। एक अप्रैल से पायलट प्रोजेक्ट में उज्जैन को शामिल कर संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर लागू करने की तैयारी थी, लेकिन अब इसे रोककर 15-15 साल के दो चरण में दस्तावेज डिजिटलाइज किए जाएंगे। पहले चरण में करीब 5 लाख रजिस्ट्री आनलाइन हो जाएगी। इससे पक्षकार स्वयं ही आनलाइन रिकार्ड देख सकेंगे। जानकारों की मुताबिक बैंकों में सर्च सहित अन्य सरकारी कामों के लिए पिछले 30 वर्षों का रिकार्ड मांगा जाता है। वर्ष 2015 के बाद से सभी दस्तावेज आनलाइन हैं, इससे पूर्व के दस्तावेजों को लेकर पहले चरण में वर्ष 2000 तक के दस्तावेज लिए गए हैं। इसके बाद अगले चरण में 1985 तक का रिकार्ड आनलाइन होगा।
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