अब मुक्तिधाम में भी कालाबाजारी से मुक्ति नहीं… शोक में डूबे परिवार नहीं कर पाते विरोध
इंदौर। आपदा में अवसर तलाशने वालों की कमी नहीं है। हालात ऐसे बदतर हो गए हैं कि हर कोई लालच में लोगों की जेब पर डाका डालने में लगा है। अब कोविड (Covid) से मरने के बाद मुक्तिधाम (Muktidham) में भी अवैध वसूली शुरू हो गई है। शहर के कई मुक्तिधाम में 5 रुपए के कंडे के सीधे 10 से 12 रुपए वसूले जा रहे हैं।
जब अस्पताल (hospital) से मुक्तिधाम में किसी रोगी का शव पहुंचता हैं तो वहां उसे इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि अधिकांश मुक्तिधाम भरे रहते हैं। जब शव के दाह संस्कार (cremation) का नंबर आता है तब शुरू होता है शोक में डूबे परिजनों से वसूली का खेल। अभी अधिकांश मुक्तिधाम (Muktidham) में दाह संस्कार (cremation) कर चिता जल्दी ठंडी होने के चक्कर में कंडों से ही दाह संस्कार किया जा रहा है। थोक में या गांवों से ये कंडे 5 रुपए तक में मिल जाते हैं, लेकिन किसी-किसी मुक्तिधाम में इन कंडों के 10 से 12 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। शोक में डूबे परिजन उस समय इसका विरोध भी नहीं कर पाते हैं। उन्हें तो केवल इस बात की चिंता रहती है कि जल्द से जल्द दाह संस्कार हो सके। इसी का फायदा मुक्तिधाम में तैनात निगम कर्मचारी उठा रहे हैं। अधिकांश मुक्तिधाम में जो रसीद काटी जा रही है, उसमें केवल दाह संस्कार की राशि ही लिखी जा रही है। इसमें यह नहीं लिखा जाता कि दाह संस्कार में किस-किस सामग्री का प्रयोग हुआ है और किस सामग्री का कितना रेट लगाया गया है, जबकि लकड़ी से दाह संस्कार करने पर लिखा जाता है कि कितनी मात्रा में लकड़ी और अन्य सामान लगाया गया है। वैसे मुक्तिधाम में 3500 रुपए की राशि दाह संस्कार के लिए तय हैं, लेकिन कंडे में इतनी राशि खर्च नहीं होती है। 10 रुपए के हिसाब से 3500 रुपए के कंडे भी माने जाए तो साढ़े तीन सौ कंडे होते हैं, जबकि एक चिता में 100 से सवा सौ कंडे और बारीक लकडिय़ां लग रही हैं, यानि 2 हजार रुपए के अंदर ही अंतिम संस्कार हो रहा है, फिर भी दाह संस्कार करने आए परिजनों से अधिक राशि वसूली जा रही है।
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