नई दिल्ली: विमुद्रीकरण (Demonetisation) को लेकर जारी एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय पीठ ने आज 4:1 के अनुपात में नोटबंदी के पक्ष में फैसला दिया. कोर्ट ने कहा कि केंद्र द्वारा नोटबंदी करना बिलकुल वाजिब था. आज इस ऐतिहासिक फैसले के मौक पर देखते हैं कि आखिर किन कारणों से नोटबंदी की गई थी.
सरकार का कहना था कि देश में बड़ी मात्रा में काला धन (black money) छुपा है. साथ ये काला धन मुख्यत: 500 और 1000 रुपये के नोटों के रूप में रखा गया है. नोटबंदी से ये सारा धन बेकार हो जाएगा, वरना सरकार की नजर में आ जाएगा.
इसके अलावा एक और बड़ी समस्या देश में जाली नोटों की थी. इसकी वजह से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच रहा था. नोटबंदी से जाली नोटों की समस्या पर लगाम लगाने की मंशा थी.
ब्लैक मनी और जाली नोटों से देश में अशांति फैलाने वाले तत्वों को फंडिंग की जा रही थी. कश्मीर में मिलिटेंसी से लेकर छत्तीसगढ़ में माओवाद तक को इससे समर्थन दिया जा रहा था.
नकली नोटों के कारण बैंकों के लिए परेशानी खड़ी हो गई थी. आए दिन एटीएम से नकली नोट निकलने की शिकायतें आ रही थी और एटीएम बंद तक करने की नौबत आ रही थी.
इन जाली नोटों और काले धन के कारण एक समानांतर अर्थव्यवस्ता का संचालन हो रहा था जिसकी वजह से बैंकों को बड़ा नुकसान हो रहा था. नोटबंदी से इस पर भी रोक लगाने में मदद मिली.
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