भोपाल। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की मप्र (MP) की साढ़े सात करोड़ आबादी में से 5.88 करोड़ लोग राशन के लिए सरकार पर आश्रित है। यह हम नहीं, बल्कि सरकारी आंकड़े बताते हैं। इनकी माने तो परिवार के सामने रोटी का संकट न हो, इसलिए दूसरे कोरोना (Corona) कॉल में करीब 4 लाख को पात्रता पर्ची बांटकर राशन की व्यवस्था की गई है। हालांकि यह स्थाई है और पिछले साल प्रदेश लौटे 36 लाख 86 हजार अप्रवाशी श्रमिकों को इस व्यवस्था का लाभ मिला था।
दरअसल 5 करोड़ 82 लाख आबादी पहले से विभिन्न योजनाओं के तहत राशन की सुविधा प्राप्त कर रही है। इनमें 1 करोड़ 12 लाख 88 हजार परिवार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते है। वहीं दूसरी ओर 4 करोड़ 70 लाख से अधिक जनसंख्या राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के तहत राशन प्राप्त कर रहे हैं। इन सबके बीच कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए लागू किए गए कफ्र्यू ने गरीबों की संख्या बढ़ा दी। हालांकि यह पहला अवसर नहीं है जबकि आय के आर्थिक स्त्रोत बंद होने के कारण अतिरिक्त व्यक्तियों को राशन के लिये सरकार पर निर्भर होना पड़ा है। इससे पहले लॉकडाउन में 36 लाख 86 हजार अप्रवाशी मजदूरों के लिए भी उचित मूल्य की दुकान से गेंहू-चावल जैसी खाद्य सामग्री का इंतजाम किया गया था।
67 लाख को सरकारी अनुकंपा का इंतजार
प्रदेश में करीब 67 लाख 48 हजार परिवारों को सरकारी अनुकंपा का इंतजार है। इन लोगों के नाम सरकार द्वारा 2002 में कराए गए सर्वे में काट दिए गए थे। हालांकि सरकार का दावा है कि इसके बाद 3 लाख 96 हजार परिवारों को गरीबी रेखा के दायरे में लाया भी गया है, बावजूद इसके अब तक इन वंचित परिवारों को लेकर सरकार कोई फैसला नहीं ले पाई है।
बेरोजगारी में इजाफा
कोरोना संक्रमण के बीच खाद्यान संकट से जूझने के पीछे बढ़ती बेरोजगारों की संख्या को भी कारण माना जा रहा है। यदि 2021 और 2020 के मार्च और अप्रैल महीनों की तुलना की जाय तो इस साल दो गुना बेरोजगार बढ़ गए हंै। बीते साल रोजगार के लिए मप्र सरकार के पोर्टल पर जहां मात्र साढ़े हजार लोगोंं ने पंजीयन करवाया था, वहीं इस वर्ष यह संख्य 15 हजार 128 हो गई है। आंकलन इसी से किया जा सकता है कि इस पर 29 लाख 95 हजार लोगों ने रोजगार के लिये पंजीयन किया है।
फैक्ट फाइल
कुल अनुमानित जनसंख्या 7.50 करोड़
राखासु के तहत संख्या 4.70 करोड़
बीपीएल कार्डधारी 1.12 करोड़
पर्ची वाले परिवार 0.4 करोड़
लगभग 12 हजार करोड़ का नुकसान
संक्रमण रोकने मप्र में लगे लगभग 50 दिनों के कफ्र्यू के कारण करीब साढ़े 12 हजार करोड़ रूपए से अधिक का अनुमान कैट द्वारा जताया गया है। इनमें अकेले करीब साढ़े 8 हजार करोड़ रूपए का नुकसान खुदरा व्यापार से जुड़ा हुआ है। हालांकि कफ्र्यू ढ़ील से व्यापारियों को ग्राही की आस जुड़ी है, लेकिन दुकानें बंद होने से हुए नुकसान की भरपाई हाल-फिलहाल चिंता का विषय बन गया है।
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