कलेक्टोरेट के बाबू के कारनामों की सुबह साढ़े 4 बजे तक चलती रही जांच, महिला मित्रों और कॉलगर्ल पर उड़ाए 70 लाख से अधिक, दो और कर्मचारी भी मिले लिप्त
इंदौर। कलेक्ट्रेट के बाबू मिलाप चौहान (Collectorate’s Babu Milap Chauhan) के कारनामों की जो जांच हुई उसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। लगभग 7 करोड़ रुपए की राशि में से साढ़े 5 करोड़ रुपए 22 खातों में ट्रांसफर होना पाए गए हैं। वहीं अन्य एक-दो कर्मचारियों की भी इस गबन के मामले में लिप्तता सामने आई है। फार्म हाउस खरीदी से लेकर महिलाओं, कॉल गर्ल पर भी 70 लाख रुपए से अधिक उड़ा भी दिए। संभवत: आज प्रशासन जांच रिपोर्ट मिलने पर एफआईआर दर्ज कराएगा। ये सभी खाते पत्नी, परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों के नाम पर खुलवाए और उसमें लगातार सरकारी राशि ट्रांसफर (Transfer) की जाती रही। यह पैसा कीट व्याधि के लिए जो किसानों को मुआवजे के तौर पर दिया जाता है उसकी राशि है, जो उनके खातों में ट्रांसफर नहीं हुई और शेष रह गई, जिसे मिलाप ने बड़ी होशियारी से अपने खातों में ट्रांसफर (Transfer) कर लिया। कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी का कहना है कि इस पूरे मामले की विस्तृत जांच की कराई जा रही है।
कलेक्टर श्री राजा का यह भी कहना है कि मिलाप के खातों में तो अधिक राशि अभी जमा नहीं है। मगर आरआरसी जारी कर राजस्व की तरह पूरी वसूली की जाएगी। फार्म हाउस सहित उसकी अन्य प्रॉपर्टियों को भी अटैच करेंगे। बैंक खातों को तो पहले ही दिन सील करवा दिया था। कलेक्टर ने इस पूरे घोटाले की जांच अपर कलेक्टर राजेश राठौर को सौंपी है, जिन्होंने अभी तक लगभग साढ़े 5 करोड़ रुपए के ट्रांजेक्शन की जानकारी निकाल ली है। यहां तक कि वे सुबह साढ़े 4 बजे तक वे इस पूरे मामले की जांच-पड़ताल करते रहे। लगभग 22 खातों में यह पैसा ट्रांसफर हुआ। इसके अलावा महिला मित्रों के भी कई खातों में राशि जमा कराई गई और गोवा, मुंबई से लेकर कई यात्राएं भी मिलाप ने की। दरअसल वह महिलाओं का भी शौकीन बताया जा रहा है, जिसके चलते कॉल गर्ल, बार बालाओं पर भी 70 लाख रुपए से अधिक उड़ा दिए। इस पूरे वित्तीय घपले में एक-दो अन्य कर्मचारियों की लिप्तता भी सामने आई है। प्रशासन का कहना है कि एफआईआर तो दर्ज कराएंगे ही, मगर उसके पहले सारी जानकारी एकत्रित कर ली जाए। कलेक्टर का कहना है कि अभी इस पूरे मामले में और भी विस्तृत जांच की जरूरत है, जो चल रही है। दरअसल कीट व्याधि यानी फसलों में जो कीड़े लग जाते हैं तो उसके एवज में किसानों को जो मुआवजा राशि सौंपी जाती है उसमें से बड़ी राशि ऐसी थी जो खातों में जमा नहीं हुई और बच गई, जिसके चलते कोषालय में पदस्थ बाबू मिलाप चौहान ने जब देखा कि यह राशि बची है तो उसने अलग-अलग खातों को खुलवाकर उसमें ट्रांसफर करना शुरू कर दिया।
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