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दुनियाभर में इस साल फेक दिए जाएंगे 5.3 अरब फोन, जानिए क्या है बड़ी वजह

October 18, 2022

नई दिल्ली: इस साल भारत की आबादी के करीब तीन गुना स्मार्ट फोन फेंक दिए जाएंगे. इलेक्ट्रॉनिक कचरे के निवारण पर काम करने वाली संस्था वेस्ट इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट (West Electrical And Electronics Equipment) ने कहा है कि इस साल दुनियाभर में 5.3 अरब फोन फेंक दिए जाएंगे. संस्था का यह अनुमान वैश्विक व्यापार के आंकड़ों पर आधारित है.

दुनिया में ई-कचरे के बढ़ते संकट को दिखाते हुए इस शोध में कहा गया है कि ऐसे लोगों की तादाद काफी बड़ी है जो अपने पुराने फोन को रीसाइकल करने के बजाय रखे रहते हैं. ई-कचरा का दोहरा नुकसान है क्योंकि इसे फेंकने के कारण जलवायु को नुकसान होता है और इसमें इस्तेमाल कीमती धातुओं को यदि रिसाइक्लिंग के दौरान निकाला नहीं जाता है तो खनन के जरिए उन्हें पृथ्वी से निकालना पड़ता है, जिसके अपने कई नुकसान हैं.

इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा करने के मामले में भारत दुनिया का पांचवां बड़ा देश है. भारत में हर साल करीब 10 लाख टन ई-कचरा निकलता है. भारतीय शहरों में पैदा होने वाले इलेक्ट्रॉनिक कचरे में सबसे ज्यादा कंप्यूटर होते हैं. ऐसे ई कचरे में 40 फीसदी सीसा और 70 फीसदी भारी धातुएं मिलीं हैं. एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि पूरे देश में लाखों टन ई-कचरे का महज तीन से दस फीसदी ही इकट्ठा किया जाता है.


स्मार्टफोन के अंदर होती हैं कई धातुएं
सूत्रों के मुताबिक एक स्मार्टफोन के अंदर 62 धातुएं हो सकती हैं. आईफोन के पुर्जों में सोना, चांदी और पैलेडियम जैसी बेशकीमती धातुएं भी होती हैं, जिन्हें एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में खनन से निकाला जाता है. संस्था के महानिदेशक पास्कल लीरॉय ने कहा कि लोगों को अंदाजा नहीं है कि ई-कचरे में मौजूद कीमती धातुओं की मात्रा कितनी बड़ी है. वह कहते हैं कि लोगों को अहसास नहीं है कि देखने में सामान्य लगने वालीं इन चीजों को अगर वैश्विक स्तर पर एक साथ रखा जाए तो कितनी बड़ी मात्रा बन सकती है.

एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में इस वक्त 16 अरब से ज्यादा मोबाइल फोन इस्तेमाल किए जा रहे हैं. यूरोप में जितने फोन हैं, उनमें से लगभग एक तिहाई इस्तेमाल नहीं होते. डब्ल्यू ट्रिपल ई का शोध दिखाता है कि इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक कचरा 2030 तक सालाना 7.4 करोड़ टन की दर से बढ़ने लगेगा. इस कचरे में सिर्फ फोन शामिल नहीं हैं. टैबलेट और कंप्यूटर से लेकर वॉशिंग मशीन, टोस्टर और फ्रिज व जीपीएस मशीन तक ई-कचरे का बड़ा हिस्सा बन रहे हैं.

दुनिया में जमा हुआ है 5 करोड़ टन ई-कचरा
एक अनुमान के मुताबिक 2018 में पूरी दुनिया में 5 करोड़ टन ई-कचरा जमा हुआ. इस कचरे में कंप्यूटर प्रोडक्ट्स, स्क्रीन्स, स्मार्टफोन, टैबलेट, टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन और हीटिंग या कूलिंग वाले उपकरण सबसे ज्यादा थे. इसमें से सिर्फ 20 फीसदी कचरे की रिसाइक्लिंग हुई, बाकी खुली जमीन या नदियों और समंदर तक पहुंच गए. बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल के पिछले दिसंबर 2020 में पेश इस रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में ई-कचरा कलेक्शन का लक्ष्य 35,422 टन था, लेकिन कलेक्शन 25,325 टन ही हुआ. इसी तरह 2018-19 में लक्ष्य था 1,54,242 टन लेकिन जमा हुआ 78,281 टन. और अगले ही साल यानी 2019-20 में भारत में 10,14,961 टन ई-कचरा पैदा कर दिया गया.

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