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    44 प्लस का अग्निबाण आज भी तरोताजा

  • May 24, 2021


    कोरोना काल में भी विश्वसनीय खबरों के साथ जनता को करता रहा जागरूक, सबका भरोसा कायम
    इंदौर, राजेश ज्वेल ।
    जिस समय में चौबीसों घंटे खबरों का अनवरत प्रवाह होता है और सोशल मीडिया (social media) भी सशक्त माध्यम के रूप में उभरकर सामने आया, ऐसे चुनौतीपूर्ण दौर में भी 44 प्लस के अग्निबाण ने अपनी विश्वसनीयता और पाठकों के भरोसे को कायम रखा है। बीते 14 माह कोरोना काल (corona era) के रहे, जिसने शहर, प्रदेश, देश और दुनिया को उलट-पुलटकर रख दिया है। अत्यंत चुनौतीपूर्ण इस दौर में भी अग्निबाण ने कोरोना से संबंधित सामग्री को भी अपने पाठकों तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और कोरोना से जुड़ी स्तरीय और विशेषज्ञों के साथ चर्चा के आधार पर तैयार प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध कराई। एक तरफ जहां शासन, प्रशासन की खामियों को भी बेबाकी से उजागर किया तो कोरोना प्रबंधन को लेकर किए जा रहे जनहित के उपायों की सराहना भी की। इलाज की खामियों को भी चिकित्सकों के नजरिए से समझकर उसे जनता तक पहुंचाया तो वैक्सीनेशन की भी ढोल की पोल लगातार खोली जाती रही। यही कारण है कि कफ्र्यू और लॉकडाउन में घरों में कैद जनता के लिए अग्निबाण उसी तरह तरोताजा बना रहा और अब सोशल मीडिया (social media) के जरिए भी उसकी मांग बढ़ गई। इसका प्रमाण है कि अग्निबाण ऑनलाइन पोर्टल भी तेजी से उसी तरह सफल रहा है, जिस तरह 44 सालों से छपे हुए अखबार को आम जनमानस ने पसंद किया। अब डिजिटल प्लेटफॉर्म (digital platform) पर भी सफलता का यह क्रम जारी है। इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना संक्रमण से जूझते हुए खबरों को जुटाना आसान नहीं है। कई साथी कोरोना संक्रमण का शिकार भी हुए और कुछ को हमने हमेशा के लिए खो भी दिया, मगर जनता तक सबसे पहले और प्रामाणिक खबरों को पहुंचाने की जो मशाल जलाई गई, वह बदस्तूर उसी शिद्दत से जारी है। यही कारण है कि आज भी दोपहर 12 बजे के बाद सभी को अग्निबाण की तलब पहले की तरह ही लगती है। एक पाठक ने मुझे यह चित्र भी भेजा, जिसमें सडक़ किनारे एक उम्रदराज महिला बड़े चाव से अग्निबाण पढ़ रही है। विश्वसनीयता और अपनेपन की यह भी एक मिसाल है। आज भी अग्निबाण शहर की धडक़नों में शामिल है और पाठकों का वैसा ही प्यार और अपनत्व रहा है। शहर से जुड़ी हर छोटी और बड़ी खबर और उसकी नब्ज पर अग्निबाण का हाथ रहता है और सुबह के अखबारों के लिए पहले की तरह कुंजी का काम आज भी अग्निबाण कर रहा है। समय-समय पर शासन-प्रशासन के जो तमाम कोरोना अभियान चलते हैं, उनका भी विश्लेषण, ब्योरा और मैदानी हकीकत अग्निबाण के पन्नों से गुजरकर पाठकों तक पहुंचती है। आज ऐसे वक्त में जब गोदी मीडिया का चलन परवान पर है और खबरें पाठकों तक तोड़-मरोडक़र और सरकार की पसंद के मुताबिक परोसी जाती हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से पत्रकारिता को भी खेमों में बांट दिया गया है और आसानी से आरोप-प्रत्यारोप चस्पा कर दिए जाते हैं। ऐसे माहौल में जहां अब हर पाठक खुद को पत्रकार समझने लगा है और दो लाइन की प्रतिक्रिया सोशल प्लेटफॉर्म पर दे देता है। उस दौर में पत्रकारिता के दायित्व को इस तरह की चुनौती कभी नहीं रही। अब एक बड़े वर्ग को उसकी पसंद की खबरें ही पढऩा व सुनना पसंद है और इसके विपरीत आने वाले समाचारों को देश विरोधी ही करार दे दिया जाता है। बावजूद इसके अग्निबाण ने तमाम जोखिमों के बावजूद स्वस्थ और जनहित की पत्रकारिता को ही तवज्जो दी है।

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