इंदौर। प्राधिकरण को हाईकोर्ट में अभी कई प्रकरणों में लडऩा पड़ रहा है, जिसमें एमआर-9 और 10 से जुड़ी याचिकाएं भी शामिल हैं। इस संबंध में लगभग 44 अतिक्रमणों को हटाने के नोटिस भी जारी किए गए हैं, ताकि हाईकोर्ट में जवाब प्रस्तुत किया जा सके। दूसरी तरफ चाय-किराना व्यापारियों की लीज निरस्ती का मामला भी हाईकोर्ट में चल रहा है। उसमें व्यापारियों की ओर से जवाब दिया गया। इसके साथ ही प्रेस कॉम्प्लेक्स की याचिका में दिए निर्देशों का पालन भी प्राधिकरण को करना पड़ रहा है।
पिछले दिनों एमआर-9 और 10 के अतिक्रमणों और इनके अधूरे निर्माण को लेकर जनहित याचिका लगाई गई, जिसमें इंटरविनर भी आरई-2 के मामले में सामने आए, जिसमें हाईकोर्ट ने शासन और प्राधिकरण से जवाब मांगा था। प्राधिकरण ने इन दोनों प्रमुख सडक़ों के निर्माण में बाधक लगभग 44 नोटिस जारी किए हैं। अब 14 सितम्बर को इस पर फिर सुनवाई होगी। योजना क्र. 54 पीयू-4 में चाय-किराना व्यापारियों को आबंटित भूखंडों की भी सुनवाई की जाना है, जिसमें प्राधिकरण ने अपना जवाब दिया है और 100 से अधिक याचिकाकर्ताओं ने भी अपने-अपने जवाब प्रस्तुत कर दिए हैं। पिछले दिनों 300 से ज्यादा भूखंडों की लीज प्राधिकरण ने निरस्त कर दी थी, जिस पर व्यापारियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और वहां से स्टे भी हासिल किया, जो कि अभी अगली सुनवाई तक जारी रहेगा। यानी प्राधिकरण कब्जा लेने से लेकर अन्य कोई कार्रवाई नहीं कर सकेगा। पिछले कई वर्षों से चाय-किराना से लेकर लोहा व्यापारियों को शिफ्ट करने, नोटिस थमाने और लीज निरस्ती की कार्रवाई करता रहा है, लेकिन इन मामलों में उसे सालों तक कोर्ट-कचहरी करना पड़ती है और यही कारण है कि आज तक प्राधिकरण किसी भी लीज निरस्त, भूखंड का कब्जा लेकर पुन: नहीं बेच पाया है।
प्राधिकरण के लीज शिविर भी शुरू
प्राधिकरण की अधिकांश सम्पत्तियां लीज पर ही दी हुई है, जिनकी हर तीन माह में किश्तें जमा होती है। अभी लॉकडाउन के चलते प्राधिकरण ने लीज जमा करवाने की समय सीमा बढ़ाई भी थी। अब पहले 30 साल की लीज कई सम्पत्तियों की खत्म हो चुकी है, उनके नवीनीकरण और शीघ्र निवारण के लिए विभिन्न योजनाओं में शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। अभी 54, 74 और 78 अरण्य के लिए तीन दिवसीय शिविर कस्तूरी सभागृह में आयोजित किया गया है। प्राधिकरण के सीईओ विवेक श्रोत्रिय के मुताबिक इन तीनों योजनाओं के लीज ग्रहिता इस शिविर का लाभ ले सकते हैं, ताकि उनके प्रकरणों का शीघ्र निराकरण भी किया जा सके।
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