नई दिल्ली। ऊपर वाला जब भी देता, देता छप्पर फाड़कर’ ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी। कुछ ऐसा ही हुआ है दक्षिण राज्य केरल के कोच्चि में रहने वाले शख्स बाबू जॉर्ज वालावी के साथ। वालावी की किस्मत ने ऐसी पलटी मारी कि वे अरबपति बन गए।
दरअसल उन्होंने साल 1978 में मेवाड़ ऑयल एंड जनरल मिल्स लिमिटेड के 3500 शेयर्स खरीदे थे। शेयर खरीदने के बाद बाबू कंपनी में 2.8 फीसदी के शेयरहोल्डर बन गए थे। लेकिन 43 साल पहले ये शेयर खरीदकर भूल गए। अब इन शेयरों की कीमत 1,448 करोड़ रुपये हो गई है।
वालावी को पैसे नहीं देना चाहती कंपनी
लेकिन अब कंपनी उन्हें पैसे नहीं देना चाहती है। इसलिए बाबू और उनके परिवार के सदस्य मामले को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास ले गए हैं। उन्होंने दावा किया है कि कंपनी के शेयर्स के असली मालिक वे ही हैं।
क्या है पूरा मामला?
इस संदर्भ में बाबू ने कहा कि, ‘ जब उन्होंने शेयर खरीदे थे, उस वक्त कंपनी के संस्थापक चेयरमैन पीपी सिंघल और वे दोस्त थे। शेयर्स की खरीदारी के वक्त कंपनी सूचीबद्ध नहीं थी और कोई डिविडेंड नहीं दे रही थी। इसलिए मैं और मेरा परिवार इस निवेश के बारे में भूल गए।’ साल 2015 में उन्हें इस निवेश के बारे में याद आया। फिर उन्होंने पड़ताल शुरू की। इस दौरान उन्हें पता चला कि कंपनी का नाम बदलकर अब पीआई इंडस्ट्रीज हो गया है, जो सूचीबद्ध कंपनी है।
कंपनी पर लगाया आरोप
इतना ही नहीं, बाबू ने कंपनी पर आरोप लगाया है कि उसने साल 1989 में गैरकानूनी तरीके से फर्जी पेपर्स के जरिए उनके शेयर्स किसी और को बेच दिए। कंपनी ने भी इस मामले की जांच की। 2016 में पीआई इंडस्ट्रीज ने बाबू को मध्यस्थता के लिए दिल्ली बुलाया थे, लेकिन बाबू ने जाने से इनकार कर दिया।
मामले में कंपनी ने बाबू के दस्तावेजों की जांच के लिए दो अफसरों को केरल भी भेजा था। कंपनी ने यह भी माना कि बाबू के पास जो दस्तावेज मौजूद हैं वे असली हैं। लेकिन तब भी कंपनी उन्हें पैसे देने में मना कर रही है।
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