आजादी के अमृत महोत्सव के तहत कल स्वतंत्रता दिवस पर
जेल से अपनों को आजाद होते देख परिजनों की छलकीं आंखें, बांटी मिठाई
इन्दौर, निलेश राठौर। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत कल 15 अगस्त के दिन सूरज की पहली किरण उन सभी लोगों के लिए एक नया सवेरा लेकर आई, जिन्होंने पल भर के लिए क्षणिक आवेश में आकर दो परिवारों की जिंदगी को तबाह कर दिया था। एक जिसका उन्होंने खून बहाया था और दूसरा स्वयं खुद का। मगर कल का दिन एक महिला सहित उन सभी 42 कैदियों के जीवन में सुनहरा अवसर लेकर आया, जब जेल की चार दीवारी से उन्होंने आजादी की नई उड़ान भरी। इसमें कुछ कैदी ऐेसे भी थे, जिन्होंने बेगुनाह होते हुए भी दूसरों के कर्मों की सजा पाई, तो कई ऐसे भी थे, जिन्होंने आवेश में आकर अपने हाथों को खून से रंगा था, वहीं कुछ ऐसे भी थे, जिन्होंने छेड़छाड़ और अन्य छोटे अपराध में सजा पाई थी। जेल से आजाद होने के बाद अब हम सब को आगे आकर इन सभी को समाज की मुख्य धारा से जोडऩा होगा और उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपनाना होगा, तभी यह सभी अपराध की दुनिया से बाहर निकल सकेंगे। जेल से अपने परिवार के लोगों के रिहा होते ही परिजनों की जहां आखें छलक उठीं, वहीं कई परिवारों ने जेल में ही मिठाई बांट अपनी खुशी का इजहार किया।
मामूली विवाद में बन बैठा हत्यारा
जेल में 14 साल सश्रम कारावास की सजा काटते हुए वहां पर स्थापना शाखा में कम्प्यूटर आपरेटर का काम करने वाले रिहा बंदी ने बताया कि 2008 में हुए मामूली विवाद में वह इतना आवेश में आ गया कि उसने सामने वाले को मौत के घाट उतार दिया था, जिसका उसे आज तक मलाल है।
-राजाबाबू पिता शोभाराम धुर्वे निवासी ग्राम जोगीबेड़ा, हरसूद
प्रेमी से बन बैठा खूनी
जिसके साथ सात जन्मों तक रिश्ता निभाने के सपने देखे, उसी प्रेमिका के लिए वह हत्यारा कहलाया। यह बात जेल में सिलाई और सुतारी का काम करने वाले रिहा होने वाले बंदी ने कही कि वह जिसे दिलों जान से ज्यादा चाहता था, वह जल कर मर गई और उसका इल्जाम उस पर लगा दिया कि उसने जला कर मारा था।
-कैलाश पिता ब्रजलाल निवासी बुरहानपुर
गुनाह को छिपाने की सजा पाई
अपने हत्यारे रिश्तेदारों को घर में पनाह देने की खता उसे जीवन के 15 साल जेल में गुजार के चुकानी पड़ी। जेल से रिहा हुए कैदी ने बताया कि दूसरे गांव में रहने वाले रिश्तेदारों ने विवाद के दौरान किसी की हत्या कर दी थी और वारदात के बाद उसके यहां आकर कुछ दिन रहे थे। पुलिस जब उन्हें तलाशते हुए उसके घर पहुंची थी तो उसने अपराधियों की जानकारी छिपा ली थी। उसी की सजा उसने जेल में प्रिंटिंग प्रेस में काम कर काटी।
-संतोष पिता नरबतसिंह निवासी ग्राम भौंरासा जिला देवास
जमीन विवाद में भाभी को मौत के घाट उतारा
अपने जीवन का अमूल्य वक्त जेल में काटने वाले रिहा बंदी ने अपनी कहानी बताते हुए कहा कि परिवार में जमीन को लेकर हुए विवाद में वह अपने गुस्से पर काबू नहीं रख सका और उसने अपनी मां समान भाभी को मौत के घाट उतार दिया, जिसका उसे जिंदगी भर पछतावा रहेगा।
-आनन्दीलाल पिता रणछोड़ ग्राम भरावदा जिला धार
जेलवाणी 18.77 रेडियो पर जेल अधीक्षक ने सुनाया देशभक्ति गीत
आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में कल सेन्ट्रल जेल में रिहा होने से पहले सभी कैदियों को नैतिकता पाठ पढ़ाते हुए जेल अधीक्षक अलका सोनकर ने उन्हें देश के लिए जिम्मेदार नागरिक बनने का संकल्प दिलवाया और जेल में जारी जेलवाणी रेडियो के माध्यम से ऐ मेरे वतन के लोगों देशभक्ति गीत सुनाते हुए उनमें देशभक्ति का जस्बा जगाया। जेल अधिकारी पूजा मिश्रा और अभिषेक डांगी ने भी अपनी सुरीली आवाज में मेरा मुल्क मेरा देश और दिल दिया है जान भी देंगे देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए।
कमाई का 50 प्रतिशत हिस्सा देना पड़ता है …
हत्या जैसे जघन्य अपराध को अंजाम देने के बाद सजा के रूप में मिले सश्रम कारावास के दौरान कैदियों द्वारा जेल में कपड़ा मिल, बर्तन कारखाना, खेती किसानी, रंगाई-पुताई, छपाई कारखाने में काम करने के एवज में प्रतिदिन 72 रुपए मेहनताना मिलता है, जिसका आधा हिस्सा पीडि़त परिवार यानी जिनके परिवार के सदस्य की अपराधी ने हत्या कर दी थी, उन्हें जाता है। लेखापाल मंगल सेन ने बताया कि 37 रिहा होने वाले कैदियों को कुुल 7 लाख 52 हजार 332 रुपए चैक और नकद के रूप में सौंपे।
इन कैदियों को मिला आजादी के महोत्सव का लाभ
आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कैदियों की रिहाई के साथ ही कल आजादी के अमृत महोत्सव के तहत विशेष छूट प्राप्त पांच ऐसे कैदियों की भी रिहाई हुई, जिन्हें 1 से 7 वर्ष तक की सजा मिली थी। कल रिहा हुए ऐसे 5 कैदियों में जीतू उर्फ जितेन्द्र पिता हुकुमसिंह, सतीश पिता सिद्धनाथ, और बलराम पिता राजेश इन सभी को 7 साल, राजू उर्फ राजा पिता रायसिंह उर्फ रामसिंह को 6 साल और मनीष पिता प्रकाश को 1 साल की सजा मिली थी, जिन्हें कल आजाद किया गया।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved