उज्जैन। सिंहस्थ 2016 के दौरान शासन ने मेला क्षेत्र की 3 हजार हेक्टेयर से ज्यादा जमीन अधिग्रहित की थी, इसके बावजूद जगह कम पड़ी थी और बाद में अलग से 400 हेक्टेयर के लगभग अतिरिक्त जमीन अधिग्रहण के लिए अधिसूचना निकालनी पड़ी थी। अगले सिंहस्थ में श्रद्धालुओं की संख्या पिछली बार से दो गुना अधिक रहेगी। इसे देखते हुए अभी से शासन को सिंहस्थ 2028 का मास्टर प्लान तैयार करना चाहिए। शहर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रवि राय ने बताया कि सिंहस्थ 2028 को देखते हुए कई विकास कार्यों की शुरुआत की जाना है। पिछली समीक्षा बैठक में सिंहस्थ 2028 में लगभग 42 प्रतिशत अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता होने का अनुमान लगाया गया था। इसे देखते हुए स्थानीय अखाड़ा परिषद, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, साधु, संत, महात्माओं से विचार-विमर्श कर सिंहस्थ उज्जैन का एक मास्टर प्लान अभी से तैयार करना चाहिए, जिसके तहत वे क्षेत्र जहां लोगों ने मकान बना लिए और हजारों नागरिक निवास करने लगे हैं उन क्षेत्रों को सिंहस्थ से हटाते हुए अन्य क्षेत्रों की तलाश करते हुए भूमि की व्यवस्था करना चाहिए। साथ ही अधिक भीड़ तथा क्राउड मैनेजमेंट के तहत शिप्रा नदी के दोनों और तीन-तीन सौ मीटर के क्षेत्र को सिंहस्थ हेतु आरक्षित कर देना चाहिए।
दोनों और ग्रीन बेल्ट का पालन करते हुए पौधारोपण किया जाए ताकि पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ नदी का कटाव भी रोका जा सके। श्री राय ने कहा कि इंदौर-बडऩगर बायपास आज का सबसे महत्वपूर्ण मार्ग है उसे सिक्स लेन किया जाए। साथ ही एक फ्लाईओवर भी बनाया जाए। नदी किनारों के आसपास केवल घाटों का ही निर्माण किया जाए। इस संबंध में जबलपुर उच्च न्यायालय द्वारा नर्मदा नदी पर दिए गए निर्णय का पालन उज्जैन शिप्रा नदी के लिए भी किया जाए। उज्जैन शहर का प्रस्तावित मानचित्र 2035 वर्तमान में विचाराधीन है, परंतु सिंहस्थ की आवश्यकताओं की प्राथमिकता को देखते हुए उक्त मास्टर प्लान को स्थगित किया जाए। अभी तक का सबसे विवादित मास्टर प्लान टाउन कंट्री प्लानिंग के अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार का आरोप प्रत्यारोप के बीच जारी किया गया। यहां इतना विवादित मास्टर प्लान है कि लगभग 500 आपत्ति इस मास्टर प्लान पर आई थी इस मास्टर प्लान में शहर के निर्वाचित जनप्रतिनिधि कोई बीच एक दीवार सी खड़ी की है। अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मास्टर प्लान पर आरोप लगाया है। मुख्यमंत्री को मास्टर प्लान 2035 पर तत्काल रोक लगाना चाहिए तथा सेटेलाइट टाउन की जमीनों को आवासीय कर दिया गया है। इस मास्टर प्लान से लगभग शासन राजस्व को 500 करोड़ रुपए की हानि होने की संभावना है। पूर्व मास्टर प्लान 2021 को और 5 वर्षों तक बढ़ा देना चाहिए और सिंहस्थ मास्टर प्लान पहले बनाते हुए कुल आवश्यकता भूमि लगभग 5000 हेक्टेयर की पूर्ति करने के बाद उस भूमि को सिंहस्थ की भूमि घोषित करने के बाद ही नए मास्टर प्लान बनाना चाहिए। शहर विकास के लिए वर्तमान परिस्थितियों में कुंभ महापर्व की आवश्यकता अति महत्वपूर्ण है। उसी अनुरूप शहर में ब्रिज, मार्ग, सिक्स लेन, फोर लेन, घाटों की वृद्धि, नदी किनारे पर वृक्षारोपण, शिप्रा नदी से गंदे नालों एवं होटलों के पानी गंदे पानी को रोकने के प्रयास, श्री महाकालेश्वर मंदिर के जाने के अतिरिक्त मार्ग के साथ-साथ चिंतामण, मंगलनाथ, काल भैरव, त्रिवेणी, भरथरी गुफा, गढ़कालिका, भूखी माता आदि क्षेत्रों को सिंहस्थ क्षेत्र घोषित किया जाए। इतना विवादित मास्टर प्लान बनाने वाले अधिकारियों को मुख्यमंत्री एवं नगरी प्रशासन मंत्री तत्काल एक जांच कमेटी बनाए और इन दोनों अधिकारियों की जांच जरूर कराएं।
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