नई दिल्ली। भारतीय रेल (Indian Railways) में बगैर ट्रेन दुर्घटना (without train accident) के एक दशक में 41,596 यात्रियों की जान चली गई। इसमें ट्रेन-प्लेटफॉर्म के बीच (between train platforms) फंसकर 2580 से अधिक लोगों की मौत (More than 2580 people died) हो गई। यानी हर साल औसतन 250 से अधिक यात्रियों ने जान गंवाई। चलती ट्रेन से गिरकर मरने (falling off a moving train) का आंकड़ा और अधिक है। इस अवधि में ट्रेन से गिरने पर 39,015 यात्रियों ने जान गंवाई। यानी रोज 10 यात्री चलती ट्रेन से गिरकर मरे।
परिवहन और पर्यटन संबंधी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष टीजी वेंकटेश की ओर से गुरुवार को संसद में उपरोक्त रिपोर्ट पेश की। रेल संरक्षा आयोग (सीआरएस) पर प्रस्तुत इस रिपोर्ट में रेलवे बोर्ड ने समिति को बताया कि 2012 से 2021 के दौरान ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच गिरने से 2581 यात्रियों की मृत्यु हुई है। इसमें 2016 में सर्वाधिक 399 यात्रियों की मौत हुई। 2013 में 352 और 2014 में 349 यात्रियों की मौत हो गई।
चलती ट्रेन से गिरने पर 2016 में सर्वाधिक 5070 यात्री मर गए। जबकि 2015 में 4979 और 2014 में 4892 रेल यात्रियों की जान गई। राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) पटरियों व रेल परिसर में अप्राकृतिक मौतों के मामलों को आपराधिक दंड सहिता की धारा 174 के अंतर्गत रेलवे के खिलाफ मामला दर्ज करती है।
एक साल में 601 की जान बचाई
रेलवे बोर्ड ने बताया कि आरपीएफ ने विभिन्न स्टेशनों पर तत्परता दिखाते हुए यात्रियों की जान बचाई है। कई यात्री प्लेटफॉर्म से गिरने के बाद ट्रेन के पहियों के बीच आने वाले थे, लेकिन जवानों ने जान जोखिम में डालकर उन्हें बाहर खींच लिया। 2021 में एक साल में 601 यात्रियों की जान बचाई गई।
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