उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी (Uttarkashi of Uttarakhand) में सिल्क्यारा टनल में फंसे लोगों (People trapped in Silkyara Tunnel) के लिए राहत भरी खबर है. 41 जिंदगियां बचाने के लिए 42 मीटर तक एक पाइप डाला गया है. ड्रिलिंग का काम 67 फीसदी पूरा (work 67 percent complete) हो चुका है. सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को अब पका हुआ खाना मिलने लगता है. इसके साथ ही वीडियो कम्युनिकेशन (video communication) होने से फंसे हुए लोगों का मनोबल बढ़ा है. 41 लोगों के सेफ ऱेस्क्यू को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों को तैनात किया गया है. सभी को विशिष्ट कार्य सौंपे गए हैं. रेस्क्यू अभियान पर सलाह देने के लिए नेशनल और इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट साइट पर मौजूद हैं.
NDRF-SDRF की ओर से वायर कनेक्टिविटी के साथ मॉडिफाइल कम्युनिकेशन सिस्टम डवलप किया है, ताकि मजदूरों से स्पष्ट बातचीत हो सके. सुबह अंदर मौजूद लोगों ने बताया कि वे सुरक्षित हैं. रेस्क्यू टीम को इमरजेंसी सेफ पैसेज देने के लिए 67 मीटर लंबी पाइप के जरिए निकलने का काम पूरा हो गया है. प्रधानमंत्री ऑफिस के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने बताया कि मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हम 6 मीटर और आगे बढ़ने में सक्षम हैं. हमें उम्मीद है कि अगले 2 घंटों में जब हम अगले चरण के लिए तैयारी करेंगे, हम बचे हुए काम को पूरा करने में सक्षम होंगे.
NHIDCL ने ऑगर बोरिंग मशीन का उपयोग करके मजदूरों को बचाने के लिए सिल्क्यारा की तरफ से एक बोरिंग फिर से शुरू की है. आज तक 42 मीटर पाइप डाले जा चुके हैं. ड्रिलिंग मशीन के लिए एक सुरक्षात्मक कवच का निर्माण कार्य चल रहा है. SJVNL द्वारा बचाव के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग की जा रही है. वर्टिकल रेस्क्यू टनल निर्माण के लिए SJVNL की मशीन साइट पर आ गई है, और इंस्टॉल कर दी गई है. THDCL द्वारा बरकोट साइड से ड्रिलिंग की जा रही है. टीएचडीसी ने बारकोट छोर से एक सुरंग का निर्माण शुरू कर दिया है, जिसमें चार विस्फोट पहले ही पूरे हो चुके हैं, जिसके परिणामस्वरूप 9.10 मीटर बहाव हुआ है. प्रतिदिन तीन धमाके करने की कोशिश की जा रही है.
41 जिंदगियां बचाने के लिए हॉरिजेंटल ड्रिलिंग के लिए जरूरी माइक्रो टनलिंग के उपकरण साइट पर पहुंच गए हैं. अतिरिक्त बैकअप मशीनें भी उपलब्ध हैं. ONGC वर्टिकल बोरिंग के लिए यूएसए, मुंबई और गाजियाबाद से मशीनरी जुटा रही है. सुरंग के अंदर एक बहाव बनाने के लिए काम चल रहा है, जिसमें 180 मीटर से 150 मीटर तक एक सुरक्षित चैनल स्थापित किया गया है. सेना इस उद्देश्य के लिए बॉक्स कल्वर्ट जुटा रही है. 08 फ्रेमों का निर्माण पूरा हो चुका है. BRO ने एसजेवीएनएल और आरवीएनएल द्वारा वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए एप्रोच रोड का निर्माण पूरा कर लिया है. बीआरओ ओएनजीसी द्वारा किए गए भूवैज्ञानिक सर्वेक्षणों के साथ ओएनजीसी के लिए मार्ग बना रहा है.
NHIDCL के एमडी महमूद अहमद ने कहा कि 40 मीटर से 50 मीटर के बीच का हिस्सा सबसे महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि इसे पार करने के बाद हम अधिक आत्मविश्वास के साथ बात कर सकते हैं. यह पूछे जाने पर कि ऑपरेशन में अब और कितना समय लगेगा, उन्होंने कहा कि अगर हमें किसी बाधा का सामना नहीं करना पड़ा और हम इसी गति से आगे बढ़े तो हमें बुधवार देर रात या गुरुवार सुबह कुछ अच्छी खबर मिल सकती है.
वैकल्पिक योजना पर अहमद ने कहा कि हम सुरंग के बारकोट की ओर से क्षैतिज ड्रिलिंग भी कर रहे हैं. तीन विस्फोट किए जा चुके हैं और हम पहले ही उस छोर से लगभग आठ मीटर अंदर प्रवेश कर चुके हैं. बरकोट छोर से फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने में काफी समय लगेगा. अहमद ने कहा कि सिल्क्यारा छोर से फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने के लिए मलबे के माध्यम से 6-6 मीटर लंबाई के कम से कम तीन और स्टील पाइप बिछाने की जरूरत है.
अहमद ने कहा कि फंसे हुए श्रमिकों को भोजन और अन्य आवश्यक चीजें पहुंचाने के लिए सोमवार को बिछाई गई 6 इंच व्यास वाली भोजन पाइपलाइन 57 मीटर तक खिसकने के बाद मलबे के इस तरफ से दूसरी तरफ चली गई थी. एक बार ड्रिलिंग पूरी हो जाने पर मजदूरों को एक साथ वेल्ड किए गए 800 मिमी व्यास वाले स्टील पाइपों के माध्यम से सुरक्षित रूप से निकलना होगा.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved