नैनीताल । कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के वनस्पति विज्ञान विभाग एवं सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के संयुक्त शोध में पुष्टि हुई है कि आंवला, तुलसी, दारू हल्दी, गिलोय, दालचीनी, तेजपत्ता, लौंग, इलाइची, पीपली, पुर्ननवा एवं अष्टवर्ग के च्यवनप्राश में प्रयुक्त होने वाले 41 औषधीय पौधे कोरोना से लड़ने में कारगर है। यह शोध कार्य यूनाइटेड किंगडम से प्रकाशित शोध पत्रिका टेलर एवं फ्रांस के जनरल ऑफ बायो, मॉलीक्यूल एवं स्ट्रक्चरल डायनामिक्स में हाल में ही प्रकाशित हुआ है।
वनस्पति विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. सुभाष चन्द्र, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुषमा टम्टा, शोधार्थी प्रियंका शर्मा, तुषार जोशी, शालिनी मठपाल, तनूजा जोशी एवं हेमलता के शोध में इसकी पुष्टि हुई है। च्यवनप्राश में प्रयुक्त होने वाले 41 पौधों में पाये जाने वाले 686 यौगिकों की मॉलीक्युलर डॉ. किंग एवं मॉलीक्युलर डायनामिक्स सिमुलेशन विधि से स्क्रीनिंग की गई। इस स्क्रीनिंग में ऐसे चार ऐसे यौगिक सामने आए जो कोरोना विषाणु में पाये जाने वाले मेन प्रोटेएज रिसेप्टर से आबद्व हो सकते हैं। दावा किया गया है कि इनसे कोरोना विषाणु की प्रजनन प्रक्रिया को रोका जा सकता है।
प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों की इस उपलब्धि पर कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रो. एनके जोशी, विज्ञान संकायाध्यक्ष एवं वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. एससी सती, निदेशक एसआरआईसीसी प्रो. ललित तिवारी, प्रो. वाईएस रावत, प्रो. एसएस बर्गली, डॉ. किरन बर्गली, डॉ. नीलू नोधियाल, डॉ. एके बिष्ट, डॉ. कपिल खुल्बे, प्रो. नीतू बोरा शर्मा, प्रो. पीएस बिष्ट आदि ने खुशी जताई है।
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