काबुल । अफगानिस्तान में शांति बातचीत के लिए 19 साल से युद्धग्रस्त इस क्षेत्र में जल्द आतंकियों को रिहा किया जाएगा। इसके लिए अफगान परिषद ‘लोया जिरगा’ ने तालिबान के 400 खूंखार आतंकियों को छोड़ने पर अपनी सहमति दे दी है। अब तालिबान और सरकार के बीच अगले हफ्ते कतर में बातचीत शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है।
तालिबान कैदियों की रिहाई पर सुझाव के लिए राष्ट्रपति अशरफ गनी ने 3,200 सामुदायिक नेताओं एवं राजनीतिज्ञों को काबुल बुलाया था। कोरोना संक्रमण की चिंताओं और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हुई बैठक में रिहाई का प्रस्ताव पारित हुआ। कुछ ही मिनट बाद राष्ट्रपति ने कहा कि वह आज ही रिहाई आदेश पर दस्तखत कर देंगे। इनकी रिहाई के साथ ही अफगानिस्तान सरकार का 5000 तालिबान कैदियों की रिहाई का वादा पूरा हो जाएगा।
वहीं, इनकी रिहाई से उन नागरिकों और मानवाधिकार समूहों में भारी नाराजगी पैदा हो गई है, जो शांति प्रक्रिया की नैतिकता पर सवाल उठाते रहे हैं। दरअसल, इनमें से कुछ आतंकी जघन्य हमलों में शामिल रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में पिछले एक दशक में एक लाख से अधिक लोग मारे गए हैं।
उधर, मीडिया में आई रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि अफगान सरकार के इस फैसले से चुनावी साल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपने सैनिकों को वापस बुलाने में आसानी होगी। ट्रंप अमेरिका को इस लंबे युद्ध से निकाल कर अपना एक चुनावी वादा पूरा करने पर अडिग हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने कहा कि अफगानिस्तान में नवंबर तक हमारे सैनिकों की संख्या पांच हजार से भी कम रह जाएगी।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved