उज्जैन। पुलिस के पोर्टल के अनुसार, उज्जैन में इस साल सितंबर तक करीब 400 लोग गायब हो चुके हैं। यानी, रोजाना एक से दो और हर माह में औसतन 44 से ज्यादा लोग लापता हुए। इनमें मिलने वालों की संख्या बहुत कम है।
उल्लेखनीय है कि जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्रों से इस साल अभी तक करीब 400 लोग अचानक गायब हुए। इनमें पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक हैं। सभी मामलों में परिजनों ने संबंधित थानों में गुमशुदगी व अपहरण का केस दर्ज करवाया है। वहीं पुलिस ने मामला दर्ज कर सभी की तलाश शुरू कर दी है। चिंता की बात यह हैं कि हर साल यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा हैं। बड़ा सवाल यह है कि आखिर गायब लोग भूले-भटके भी मिलते क्यों नहीं है? इसी सवाल का जवाब खोजने के लिए अग्निबाण ने पड़ताल की तो पता चला कि पुलिस थानों में किसी की भी गुमशुदगी दर्ज होने के बाद उसकी खोजबीन के नाम पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। शहरी क्षेत्र हो या देहात पुलिस का रवैया एक जैसा रहता है। यही कारण है कि जिले में लापता होने वालों की संख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है। आम तौर पर पुलिस गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करने के बाद परिजनों को ही खोजबीन करने में लगा देती है। कहने को पुलिस उन्हें आश्वासन तो देती है कि उनकी खोजबीन जारी है, लेकिन वे परिजनों से यह हमेशा कहते हैं कि आपको कहीं कोई सुराग मिल जाए तो हमें जरूर बताना। मिलने वालों में अधिकांश गुमशुदा ऐसे हैं, जो गलती से चले गए थे और खुद-ब-खुद ही लौट आए हैं। सच तो यह है कि पुलिस ऐसे मामलों में सुस्त नजर आती है। यही कारण है कि गुमशुदा लोगों का आंकड़ा उज्जैन सहित प्रदेश में तेजी से बढ़ता जा रहा है।
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