• img-fluid

    80 हजार करोड़ मूल्य के 400 लाख कैरेट हीरे फिलहाल दबे रहेंगे खदान में ही

  • June 12, 2023

    अग्निबाण विश्लेषण… शिवराज सरकार को भी 30 हजार करोड़ की राजस्व कमाई का पड़ा फटका, मध्यप्रदेश में मौजूद देश की सबसे बड़ी हीरा खदान को केन्द्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने नहीं दी मंजूरी – खारिज किया आवेदन

    इंदौर, राजेश ज्वेल। एक तरफ रेवड़ी योजनाओं की धड़ाधड़ घोषणाओं के चलते मध्यप्रदेश सरकार का खजाना खाली है और लाखों करोड़ के लोन लेकर काम चल रहा है। दूसरी तरफ 30 हजार करोड़ रुपए की होने वाली राजस्व कमाई का भी नुकसान हो गया और देश की सबसे बड़ी मध्यप्रदेश में मौजूद हीरा खदान के खनन के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। अभी केन्द्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्रदेश सरकार के आवेदन को मंजूरी नहीं दी। दरअसल पिछले दिनों हीरा खदान में खनन कर हीरे निकालने का ठेका बिड़ला समूह को देना तय किया था। 55 हजार करोड़ रुपए से इसकी नीलामी बोली शुरू हुई, जो 80 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गई थी। यानी छतरपुर जिले के बक्सवाह में मौजूद बंदर हीरा खदान में 80 हजार करोड़ रुपए मूल्य से अधिक के लगभग 400 लाख कैरेट हीरे दबे पड़े हैं, जो फिलहाल वैसे ही रहेंगे।


    एक हजार एकड़ वन भूमि को हीरा खनन के लिए परिवर्तित करने का प्रस्ताव शिवराज सरकार ने केन्द्र को भेजा था। इसे फिलहाल खारिज कर दिया, जिसके चलते हीरा खदान प्रोजेक्ट एक बार फिर अधर में लटक गया है। दरअसल तीन साल पहले शिवराज सरकार ने हीरा खदान की नए सिरे से नीलामी की प्रक्रिया शुरू की थी। विशेषज्ञों के मुताबिक देश की सबसे बड़ी बंदर हीरा खदान में 400 लाख कैरेट तक हीरे दबे होने की जानकारी सामने आई है, जिसके चलते 55 हजार करोड़ रुपए से अधिक उसका मूल्य आंका गया और उसी आधार पर नीलामी की प्रक्रिया शुरू की गई। प्रदेश सरकार ने इस हीरा खदान पर ऑफसेट प्राइज जब 55 हजार करोड़ तय की तो कई कम्पनियों के बीच इसका ठेका लेने की प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई और साढ़े 11 प्रतिशत से अधिक के प्रस्ताव शुरुआत में ही आ गए, जिसके चलते ऑफसेट प्राइज साढ़े 22 फीसदी से अधिक पहुंच गई। यानी 80 हजार करोड़ रुपए तक की नीलामी की राशि हो गई। पूर्व में इस खदान का ठेका तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने रियो टिंटो कम्पनी को दिया था, मगर विवादों के बाद कम्पनी ने यह ठेका छोड़ दिया और तब से ही यह बंदर हीरा खदान अनुपयोगी पड़ी है। इससे शिवराज सरकार को लगभग 30 हजार करोड़ रुपए का राजस्व आने वाले कई वर्षों में मिलता। मगर फिलहाल उसका भी नुकसान हो गया है। चूंकि केन्द्र में भाजपा की सरकार है, लिहाजा शिवराज सरकार इस निर्णय का अधिक विरोध भी नहीं कर सकती।

    अग्निबाण ने लगातार हीरा खदान नीलामी की खबरें की प्रकाशित

    बीते तीन सालों से इस हीरा खदान की नीलामी की प्रक्रिया चल रही थी और समय-समय पर अग्निबाण ने भी इस संबंध में कई रोचक जानकारी प्रकाशित की है। हीरा खदान के अलावा प्रदेश सरकार ने अन्य खनीज अव्यस्कों खदानों की भी नीलामी प्रक्रिया की है। हालांकि रेत सहित अन्य अवैध खनन के आरोप भी शासन-प्रशासन पर लगते हैं।

    अडानी को पछाडक़र बिड़ला समूह ने हासिल किया था सबसे बड़ा ठेका

    हीरा खदान की नीलामी में शुरुआत में कई कम्पनियों ने हिस्सा लिया, जिनमें वेदांता, रुंगटा माइंस, भारत सरकार की नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कार्पोरेशन के साथ अडानी और बिड़ला ग्रुप शामिल हुए और अंत में बिड़ला ग्रुप ने बाजी मारी।

    4 लाख हरे-भरे पेड़ कटते – लगाई कई याचिकाएं भी

    दरअसल हीरा खदान की मंजूरी रोकने के लिए पर्यावरणविदों ने भी एनजीटी से लेकर हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट तक याचिकाएं दायर दी। दरअसल 4 लाख हरे-भरे पेड़ खनन के चलते काटना पड़ते और पन्ना क्षेत्र में टाइगर हलचल भी इससे प्रभावित होती। यही कारण है कि केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने हीरा खनन के लिए वन भूमि का डायवर्शन प्रका्साव खारिज कर दिया।

    Share:

    खाते में पैसे नहीं आने से कई महिलाओं के चेहरे लटके, आज आने की संभावना

    Mon Jun 12 , 2023
    न मैसेज आया और न ही एक रुपया आया, सर्टिफिकेट जरूर मिला इंदौर। कल रविवार होने के कारण लाड़ली बहनाओं के खाते में पैसे नहीं आने से कई महिलाओं के चेहरे लटक गए। एक ही परिवार की सदस्य महिलाओं में से कुछ के खाते में न केवल एक रुपया आया, बल्कि बाकी राशि भी जमा […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    सोमवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved