आयकर विभाग द्वारा तय की गई श्रेणी के बाद स्टेट जीएसटी ने अलग से एलटीयू का किया गठन, वाणिज्यिक कर विभाग ने शुरू की प्रक्रिया
इंदौर। आयकर (Income Tax) से ज्यादा जीएसटी (GST) से सरकार की कमाई होने लगी है। अधिकांश उपभोक्ता सेवाएं-वस्तुएं जीएसटी के दायरे में ले ली गई है। वहीं इंदौर सहित प्रदेश के सभी बड़े करदाताओं के लिए एक अलग से एलटीयू यानी लॉर्ज टैक्सपेयर यूनिट का गठन भी किया जा रहा है। आयकर से प्राप्त रिकॉर्ड के आधार पर वाणिज्यिक कर मुख्यालय इंदौर द्वारा प्रदेश के सभी सर्कलों से बड़े करदाताओं के रिकॉर्ड हासिल किए जा रहे हैं और लगभग 1700 से अधिक ऐसे बड़े करदाता हैं जिन्हें एलटीयू श्रेणी में रखा गया है। इनमें सर्वाधिक इंदौर के लगभग 400 बड़े करदाता ऐसे हैंं जिनका टर्नओवर 60 करोड़ या उससे अधिक है। इंदौर में करोड़पति आयकरदाताओं की संख्या में भी इजाफा हुआ है और रियल इस्टेट कारोबार ने तेजी से गति पकड़ी।
कोरोना के चलते जहां नर्सिंग होम, डॉक्टर, दवा कम्पनियों से लेकर इससे जुड़े लोगों ने जमकर पैसा कमाया, तो उसके बाद इंदौर का रियल इस्टेट कारोबार भी चमक उठा, जिसके चलते अन्य कारोबार में भी गति आने लगी। दूसरी तरफ करदाताओं की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ अधिक से अधिक कर वसूली पर भी केन्द्र सरकार का फोकस है। यही कारण है कि आयकर से लेकर जीएसटी, ईडी की कार्रवाई लगातार हो रही है। स्टेट जीएसटी ने प्रदेश के बड़े करदाताओं के लिए अलग से एलटीयू का गठन किया है। वाणिज्यिक कर का मुख्यालय चूंकि इंदौर में ही स्थित है, लिहाजा यहां के अलावा भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर जैसे बड़े शहरों और सभी सर्कलों के बड़े करदाताओं के रिकॉर्ड हासिल किए गए और इन्हें एलटीयू श्रेणी में रखा गया है। ये ऐसे करदाता हैं जिनसे प्रदेश के कुल जीएसटी कलेक्शन यानी राजस्व में 30 फीसदी तक की हिस्सेदारी रहती है। इंदौर चूंकि प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी है, लिहाजा सबसे अधिक 60 करोड़ रुपए से अधिक टर्नओवर वाले कारोबारियों की संख्या इंदौर में ही है। ऐसे लगभग 400 कारोबारी एलटीयू में शामिल किए गए हैं। जबकि भोपाल में 20 करोड़ या उससे अधिक, जबलपुर, सागर, छिंदवाड़ा, सतना में 25 करोड़ और उससे अधिक तथा ग्वालियर संभाग के लिए 20 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर को निर्धारित किया गया है। अभी तक सभी तरह के करदाताओं का रिकॉर्ड अलग-अलग सर्कलों में पटा हुआ है। अब एलटीयू में बड़े करदाताओं का रिकॉर्ड रहेगा और उनके लिए सिंगल पाइंट ऑफ कॉन्ट्रैक्ट सिफारिश भी की गई है, ताकि स्क्रूडनी, ऑडिट, निगरानी से लेकर ऐसे करदाताओं को भी अधिक परेशानी ना हो। इंदौर के बाद भोपाल में साढ़े 300 से अधिक 30 करोड़ या उससे अधिक करदाता मिले हैं, तो ग्वालियर में 290 एवं जबलपुर, सतना, सागर, छिंदवाड़ा में ये बड़े कारोबारी 340 हैं।
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