मुंबई । आदित्य ठाकरे (Aaditya Thackeray) ने कहा कि 40 गद्दारों (40 Traitors) ने हमसे धोखा किया (Cheated Us) और पार्टी को छीनने की कोशिश की (Tried to Snatch the Party), लेकिन हमारे सिद्धांतों (Our Principles) को नहीं छीन सकते (Can’t Take Away) । इन 40 गद्दारों ने दिखा दिया कि राजनीति कितनी गंदी हो सकती है। वे इस्तीफा देकर उस पार्टी में जा सकते थे, जहां वह जुड़े हैं। उन लोगों ने जो किया है, वह सिर्फ शिवसेना ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र के साथ धोखा है।
शिवसेना के दो गुटों की ओर से पार्टी के सिंबल और नाम पर दावों के बीच चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट की पार्टी का नाम ‘शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)’ रखा गया है। इसके अलावा एकनाथ शिंदे की पार्टी का नाम बालासाहेबांची शिवसेना होगा। यही नहीं आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट की पार्टी का इलेक्शन सिंबल भी अलॉट कर दिया है और उन्हें धनुष-बाण की जगह मशाल दी गई है। यह मशाल मिलने के बाद आदित्य ठाकरे ने पहला रिएक्शन देते हुए एकनाथ शिंदे गुट पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि हमें जो नाम मिला है, शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे उससे पता चलता है कि शिवसेना से ये नाम अलग नहीं हैं।
एकनाथ शिंदे की ओर से उद्धव ठाकरे गुट को प्राइवेट लिमिटेड कहे जाने और खुद के साथ बहुमत बताए जाने पर आदित्य ठाकरे ने कहा कि क्या चोरी से कोई दावा बनता है। राजनीति और लोकतंत्र में ऐसा नहीं हो सकता। यदि आपको चुनाव लड़ना है तो इस्तीफा देकर मैदान में आ सकते हैं। आदित्य ठाकरे ने कहा कि इस तरह तो कल को कोई भी भाजपा, कांग्रेस, जेएमएम और सपा पर भी दावा ठोक देगा।
आदित्य ठाकरे ने एक बार फिर से शिवसेना और भाजपा के समझौते की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि हमने ढाई-ढाई साल के समझौते की बात की थी और उसके तहत आज भाजपा का सीएम होता, लेकिन अब ऐसा नहीं है। भाजपा की बजाय हमारे कांग्रेस और एनसीपी जैसे नए दोस्तों ने पूरा साथ दिया। यह भी कहा कि हम उद्धव ठाकरे साहब के साथ पूरे 5 साल रहेंगे। इन गद्दारों ने पूरे ढाई साल तक मजे किए और फिर भाजपा संग चले गए। जिस पार्टी ने सब कुछ दिया, उसकी ही पीठ में छुरा भोंककर अवैध सीएम बन गए। मैंने कभी इतनी गंदी राजनीति नहीं की थी।
शिवसेना और भाजपा के हिंदुत्व को उद्धव की ओर से अलग बताए जाने पर आदित्य ठाकरे ने कहा कि मैंने जो अपने दादा जी से हिंदुत्व सीखा है, उसके तहत रेपिस्ट की आरती करना नहीं था। जो बलात्कारी होता है, उसकी जाति और धर्म न देखते हुए फांसी होनी चाहिए। यही मेरे दादाजी ने कहा था। हमारा धर्म यही कहता है कि सभी की सेवा करो। कोरोना काल में मंदिरों को बंद करने के सवाल पर कहा कि गवर्नर साहब ने कहा था कि आप सेक्युलर हो गए हैं, लेकिन तब यह जरूरी था। मंदिरों में पूजा होती रही, लेकिन भीड़ नहीं बढ़ने दी ताकि कोरोना न फैले। आदित्य ठाकरे ने कहा कि सीएम बनने से पहले और रहने के दौरान भी उद्धव ठाकरे अकेले ऐसे शख्स थे, जो कई बार अयोध्या गए।
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