इंजेक्शन खर्च के अलावा अस्पताल के दूसरे खर्च अलग, तीन सफ्ताह तक चलेगा इलाज
इंदौर, वीरेंद्र सिंह सिसोदिया।
ब्लैक फंगस (Black Fungus) के इलाज का निजी अस्पताल (Private Hospital) का खर्च सुनकर मध्यमवर्गीय परिवार वाले चौंक जाएंगे, इससे जुझ रहे एक बैंककर्मी की एक आंख तो चली गई, लेकिन दूसरी आंख बचाने के लिए हर रोज 40 हजार के इंजेक्शन लग रहे है, अस्पताल में खर्च अलग है, अस्पताल का खर्च हेल्थ इंशोरेंश की पालिसियों से भी ज्यादा हो गया है।
मालवा मिल क्षेत्र (Malwa Mill Area) में रहने वाले देवेंद्र बथेड़ा पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank) में कर्मचारी है। 23 अप्रैल को उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। घर पर इलाज चला और स्वास्थ्य में सुधार भी होने लगा। इसके बाद 3 और 4 मई को हल्का सिरदर्द हुआ था तो उन्हें डॉक्टर के पास लेकर पहुंचे, यहां एमआरआई कराने की सलाह दी गई, रिपोर्ट नार्मल आई लेकिन आंख में इंफेक्शन की पुष्टि हुई। बाद में नाक में इंफेक्शन की जांच कराई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। जांचे करवाने के दौरान ही एक आंख से दिखना बंद हो गया। फिलहाल उन्हें राजश्री अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनके भाई सागर का कहना है कि अब दूसरी आंख को बचाने का इलाज चल रहा है।
वजन के हिसाब से इंजेक्शन का डोज, 8 हजार का एक इंजेक्शन
देवेंद्र 6 तारिख से भर्ती है, उन्हें एम्फोटिसिन-बी इंजेक्शन (Amphotisin-B Injection) लग रहे है, जिसका डोज व्यक्ति के वजन के हिसाब से दिया जाता है। 1 किलो वजन पर 4 ग्राम का डोज दिया जा रहा है, जबकि एक इंजेक्शन 50 एमजी का होता है। जिसकी कीमत 8 हजार होती है। 80 किलो वजन वाले देवेंद्र को 250 एमजी का डोज प्रतिदिन लग रहा है। इलाज तीन हफ्ते चलेगा।
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