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    मनीषपुरी से रिंग रोड की 40 फीट सडक़ फिर अलाइनमेंट में उलझी

  • October 24, 2024

    • रहवासियों ने रसूखदारों के दबाव में काम करने के लगाए आरोप

    इंदौर (Indore)। बीते कई वर्षों से शहर की महत्वपूर्ण सडक़ रसूखदारों के दबाव-प्रभाव के चलते बन ही नहीं पा रही है। हर बार कुछ न कुछ अड़ंगे डाल दिए जाते हैं। 80 फीट रोड को बनाने के सुप्रीम कोर्ट भी आदेश दे चुका है और उसके बाद हाईकोर्ट ने भी सडक़ निर्माण करने के निर्देश दिए। मगर अलाइनमेंट को लेकर हर बार झगड़ा होता है। अभी फिर रहवासियों ने आरोप लगाया कि नगर निगम और नगर तथा ग्राम निवेश के अधिकारी भूमाफियाओं की मदद कर रहे हैं। टेलीफोन नगर, हर्ष नगर और सेंचुरी स्टेट के मकानों से लगकर सडक़ का निर्माण कराया जा रहा है, ताकि रसूखदारों को सरकारी जमीन का लाभ दिया जा सके।

    इंदौर की यह महत्वपूर्ण सडक़ राजनीतिक और रसूखदारों के दबाव के चलते आज तक नहीं बनी, जबकि इसमें जमानेभर की कोर्ट-कचहरी भी हो चुकी है। मास्टर प्लान में भी इस सडक़ की चौड़ाई घटा दी थी और 40 फीट सडक़ को बीचों बीच बनाया जाना है, ताकि भविष्य में दोनों तरफ सडक़ चौड़ीकरण की गुंजाइश रहे। आज फिर रहवासियों ने पत्रकारवार्ता लेकर गंभीर आरोप लगाए। इनमें महेन्द्रसिंह जादौन, अनोखीलाल वर्मा व अन्य का कहना है कि हाईकोर्ट आदेश का उल्लंघन करते हुए निगमायुक्त और नगर तथा ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक मनमानी कर रहे हैं, ताकि कुछ चर्चित भूमाफियाओं को फायदा पहुंचाया जा सके। ये अधिकारी कोर्ट ऑर्डर के खिलाफ अलाइनमेंट तय कर रहे हैं, जबकि इसके अधिकार ही उन्हें हाईकोर्ट ने नहीं दिए। उन्हें संरक्षक नियुक्त किया गया।

    मगर निगम के साथ मिलकर अशोक डागा, जानकीलाल भैया, सुधीर देगड़े, पाटोदी परिवार, कुलभूषण मित्तल सहित अन्य रसूखदारों को सरकारी जमीन का लाभ पहुंचाने के लिए गलत अलाइनमेंट दिया जा रहा है। रहवासियों का यह भी कहना है कि इस सडक़ का अलाइनमेंट 2022 में तत्कालीन निगमायुक्त प्रतिभा पाल के समय हाईकोर्ट इंदौर के आदेशानुसार कर दिया था, जिसमें 40 फीट सडक़ के दोनों तरफ 20-20 फीट जमीन छोड़ी जाना थी, मगर अब टेलीफोन नगर, हर्ष नगर और सेंचुरी इस्टेट के मकानों से लगाकर सडक़ का निर्माण कराया जा रहा है, जिससे दूसरी तरफ की सरकारी जमीन का लाभ रसूखदारों को मिल सके और यह सरासर हाईकोर्ट आदेश का भी उल्लंघन है। यह भी उल्लेखनीय है कि पूर्व में अलाइनमेंट तय कराते हुए निगम ने बाधक निर्माण हटाने के साथ 105 पेड़ भी काटे और जो सीमेंट कांक्रीट की रोड बनाई उस पर भी कब्जे शुरू हो गए। ताई समर्थक डागा का नाम भी हमेशा इस सडक़ से जुड़े विवादों में आता है, क्योंकि उनके द्वारा कुछ बंगले बनवाए गए हैं और कई वर्ष पूर्व ताई के दबाव में ही नगर तथा ग्राम निवेश ने 80 फीट चौड़ी सडक़ को 40 फीट की कर दिया। मगर उतनी सडक़ भी आज तक नहीं बन सकी। जबकि साकेत, गुलमोहर जैसी पॉश कॉलोनियां इस क्षेत्र में है।

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