कुरुक्षेत्र । हरियाणा (Haryana) के कुरुक्षेत्र में (In Kurukshetra) गुरुवार को गीता की जन्मस्थली ज्योतिसर में (Geeta’s Birthplace in Jyotisar) भगवान कृष्ण (Lord Krishna) की 40 फीट ऊंची प्रतिमा (40 Feet High Statue) विराट स्वरूप का अनावरण किया गया (Unveiled) । राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और गीता ज्ञान संस्थान के अध्यक्ष ज्ञानानंदजी महाराज की उपस्थिति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने प्रतिमा का अनावरण किया।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि ब्रह्मांड की समस्याओं का समाधान और मानवता की समस्याओं का समाधान और कभी न खत्म होने वाले सुख का ज्ञान हर इंसान को दी जाने वाली गीता में है। गीता के इस ज्ञान के कारण कुरुक्षेत्र महाभारत की भूमि होने के साथ-साथ अब दुनिया में गीता की भूमि के रूप में जाना जाएगा।
उन्होंने कहा, “गीता किसी एक धर्म की नहीं है, यह दुनिया को मानवता का सार देने वाली किताब है। हालांकि हिंदू परंपरा गीता का पालन करती है, लेकिन इस पर किसी भी तरह का पेटेंट नहीं है.. यह विश्वधर्म है।” उन्होंने कहा कि जब तक मानव जाति है, गीता प्रासंगिक रहेगी। भागवत ने आगे कहा, “ये बातें इस धरती पर 5,155 साल पहले कही गई थीं। इस तरह जो ज्ञान सृष्टि की समस्याओं का जवाब देता है, सारी मानवता की समस्याओं का समाधान गीता में है।”
करीब 35 टन वजनी मूर्ति 85 फीसदी तांबे समेत चार तरह की धातुओं के मिश्रण से बनी है। इसके विशाल रूप में भगवान कृष्ण के नौ रूपों को दर्शाया गया है। अनावरण कार्यक्रम के दौरान लाइट एंड साउंड शो के माध्यम से विराट रूप और विश्वरूप से भगवान कृष्ण की यात्रा का शानदार वर्णन किया गया।कृष्णा सर्किट परियोजना के पहले स्थल ज्योतिसर के जीर्णोद्धार के पहले चरण के तहत भगवान कृष्ण के विराट स्वरूप की प्रतिमा का अनावरण किया गया। इसके बाद ज्योतिसर में विश्वस्तरीय ज्योतिसर अनुभव केंद्र स्थापित किया जा रहा है, जिसके अगले साल तक बनकर तैयार होने की संभावना है।
केंद्र को पांच भवनों में विभाजित किया जाएगा। इसके पहले भवन में महाभारत के युद्ध से पहले की घटनाओं की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। अगले भवन में 18 शीशे लगाने से विजिटर्स 18 दिनों के युद्ध में हुई घटनाओं को देख सकेंगे। इसके अलावा, विजिटर इंटरएक्टिव पॉड से गीता में लिखी गई अपनी समस्याओं का समाधान भी प्राप्त कर सकते हैं। पंचम भवन में युधिष्ठिर के राज्याभिषेक जैसी युद्धोत्तर घटनाओं की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। यह पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बनेगा।
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