गुुुुना। मॉडल एक्ट के विरोध में जिले की सभी कृषि उपज मंडियों में जारी अनिश्चितकालीन हड़ताल को दस दिन बीत चुके हैं, लेकिन इसे समाप्त करने को लेकर शासन-प्रशासन की तरफ से किसी तरह की कोई पहल नहीं की गई है।
चिंताजनक बात यह है कि जिले की सभी मंडियों के स्टाफ के साथ-साथ व्यापारियों द्वारा हड़ताल किए जाने से इसका असर व्यापक होने लगा है। खास बात यह है कि मंडियों में यह हड़ताल ऐसे समय में की जा रही है, जब किसानों को उपज बेचने की जरूरत ज्यादा महसूस हो रही है। क्योंकि एक तरफ किसानों को खेत में खड़ी खरीफ फसल कटवाना है तो दूसरी तरफ आगामी रबी फसल की तैयारी की जानी है। इन दोनों काम के लिए किसानों को नकद पैसे की जरुरत है। लेकिन उपज न बिक पाने के कारण उसे दोहरी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिले के किसानों की इस गंभीर समस्या की ओर न तो जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे हैं और न प्रशासनिक आला अधिकारी। ऐसे में किसान की मजबूरी का फायदा उठाकर कुछ लोग उसका आर्थिक शोषण भी कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक संयुक्त मोर्चा मप्र मंडी बोर्ड भोपाल के आह्वान पर प्रदेश सहित जिले की सभी कृषि उपज मंडियों में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारी 25 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। यही नहीं जिले की मंडियों के लाइसेंसधारी हजारों व्यापारी भी मॉडल एक्ट में किए गए कई संशोधनों का विरोध करते हुए हड़ताल पर चले गए हैं। इस तरह से मंडी के प्रांगण के अंदर व बाहर दोनों ही जगह उपज की खरीदी नहीं हो पा रही है। इन दोनों वर्ग के एक साथ हड़ताल पर रहने से हजारों हम्माल व तुलावटियों के रोजगार पर गंभीर संकट पैदा हो गया है। वह चाहकर भी न तो अपना विरोध दर्ज करा पा रहे हैं और न ही उनके समक्ष इस समय अन्य जगह रोजगार की व्यवस्था है। कुल मिलाकर इस हड़ताल से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों के साथ-साथ हम्माल तुलावटियों का हो रहा है।
4 हजार हम्माल तुलावटियों का कैसे जलेगा चूल्हा
कृषि उपज मंडी समिति से मिली जानकारी के मुताबिक नानाखेड़ी कृषि उपज मंडी में इस समय करीब 1100 लाइसेंसधारी व्यापारी हैं, जबकि हम्माल तुलावटियों की संख्या 4 हजार के करीब है। हड़ताल के चलते इनकी रोजरोटी पर संकट खड़ा हो गया है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved