मुजफ्फरनगर. यूपी (UP) में कांवड़ यात्रा मार्ग (Kanwar Yatra route) पर होटल और दुकान (Hotel and shop) मालिकों के नाम लिखने के आदेश के बाद अब एक नया मामला साामने आया है. मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में दिल्ली-देहरादून हाइवे पर स्थित साक्षी होटल (Sakshi Hotel) के मालिक ने चार मुस्लिम कर्मचारी (4 Muslim employees) को नौकरी से निकाल दिया है.
ढाबे के मालिक लोकेश भारती का दावा है कि उन्होंने ऐसा पुलिस के कहने पर किया है. उनका कहना है कि पुलिस की एक गाड़ी उनके पास आई और कहा कि आप मुस्लिम लड़कों को नहीं रख सकते हैं. ढाबे के मालिक ने कहा, ‘पुलिसवाले आए और सबसे पहले कहा कि यहां 6 बाई 4 का एक प्रोपराइटर बोर्ड लगाइये. सभी का पहचान पत्र लेकर रखने के लिए कहा. इसके बाद कहा कि जो भी मुस्लिम वर्कर हैं अब आप उन्हें नहीं रखेंगे.’
ढाबा मालिक ने आगे कहा, ‘पुलिसवाले के कहने के बाद मैंने मुंशी, शफक्कत अली, वकार और राजू (मुस्लिम) को नौकरी से हटा दिया.’ जब ढाबा मालिक से पूछा गया कि किस थाने की पुलिस ने उनसे ऐसा करने के लिए कहा तो ढाबा मालिक लोकेश भारती ने कहा, इस बारे में मैं कह नहीं सकता लेकिन वो पुलिसवाले ही थे.
वीएचपी ने फैसले का किया समर्थन
वहीं बता दें कि विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों के आगे मालिकों के नाम लिखने के निर्देश का समर्थन किया है. गुरुवार को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा मार्ग पर ढाबे के मालिकों के नाम लिखने के निर्देश को लेकर विपक्षी दलों की आलोचना पर वीएचपी ने कहा कि हिंदुओं की आस्था की रक्षा के लिए यह आवश्यक था.
विपक्ष ने उठाया सवाल
बता दें कि वीएचपी की ये प्रतिक्रिया कांग्रेस के उस बयान के बाद सामने आई है जिसमें कहा गया था कि मुजफ्फरनगर पुलिस का आदेश “भारत की संस्कृति पर हमला” है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इस तरह के आदेश के पीछे का इरादा मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार को “सामान्य” बनाना है.
एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस आदेश को भेदभावपूर्ण बताया और आरोप लगाया कि इससे पता चलता है कि योगी आदित्यनाथ सरकार उत्तर प्रदेश और पूरे देश में मुसलमानों को “दूसरे दर्जे का नागरिक” बनाना चाहती है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आदेश को “सामाजिक अपराध” करार दिया और अदालतों से मामले का स्वत: संज्ञान लेने को कहा है.
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