संयुक्त राष्ट्र। इथियोपिया के हिंसाग्रस्त टिग्रे क्षेत्र में 400000 से अधिक लोग अकाल का सामना कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी देते हुए कहा है कि 18 लाख लोग अकाल की कगार पर हैं। अगर हालात नहीं सुधरे तो इन लोगों को भी अकाल का सामना करना पड़ेगा। यूएन ने आगाह किया कि सरकार के एकतरफा संघर्ष विराम के बावजूद पश्चिमी टिग्रे में संघर्ष शुरू होने की प्रबल आशंका है।
यूएनएससी की बैठक में पेश हुई रिपोर्ट
टिग्रे में पिछले साल नवंबर में संघर्ष शुरू होने के बाद से संयुक्त राष्ट्र ने सुरक्षा परिषद की बैठक में दी गई रिपोर्ट में इस अकाल का जिक्र किया है। यूएन ने इस क्षेत्र की भयावह तस्वीर पेश करते हुए कहा कि यहां के 52 लाख लोगों को सहायता की तत्काल आवश्यकता है। कुछ दिनों पहले इथोपियाई सरकार के 28 जून के संघर्ष विराम के बाद लौटने वाली टिग्रे सेना ने लड़ाई रोकने पर सहमति नहीं जताई है।
टिग्रे में हालात काफी बदतर
संयुक्त राष्ट्र के कार्यवाहक प्रमुख रमेश राजसिंघम ने कहा कि पिछले ढाई हफ्तों में टिग्रे में हालात काफी बदतर हुए हैं। उन्होंने कहा कि संघर्ष के कारण खाद्य असुरक्षा और भुखमरी बढ़ गयी है और सूखे का सामना कर रहे लोगों की संख्या 400000 तक पहुंच गयी है और 18 लाख लोग अकाल का सामना करने की कगार पर हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह संख्या इससे कहीं अधिक है।
यूएन के दवा और खाने पर टिकी लोगों की जिंदगी
उन्होंने कहा कि इन लोगों में से ज्यादातर की जिंदगी हमारे द्वारा उन्हें दिए जाने वाले भोजन, दवा, पोषण पदार्थ और अन्य मानवीय सहायता पर निर्भर करती है। हमें अब उन तक पहुंचने की आवश्यकता है। अगले हफ्ते नहीं बल्कि अभी।
शांति का नोबेल जीतने वाले नेता बरसा रहे बम और गोलियां
प्रधानमंत्री अबेय अहमद ने चार नवंबर को अपनी सेना और टिग्रे सरकार की सेना के बीच लड़ाई की घोषणा की थी जिसके बाद टिग्रे क्षेत्र के कृषि पर निर्भर करीब 60 लाख लोग पहले ही खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे थे। टिग्रे नेताओं का करीब तीन दशकों से इथियोपिया पर प्रभुत्व रहा है लेकिन अबेय के सुधारों को पेश करने के बाद उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। इन सुधारों के कारण अबेय ने 2019 में शांति का नोबेल पुरस्कार जीता था।
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