लंदन। ब्रिटेन (UK New Working Culture) में मंगलवार से चार दिवसीय कार्य सप्ताह (Four Day Working Week) का पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो गया है. छह महीने के इस प्रोजेक्ट में निजी कंपनियां और संगठन शामिल हैं. कंपनियां 100:80:100 मॉडल के आधार पर कर्मचारियों के वेतन में बिना किसी कटौती के 4 डे वीक का परीक्षण (4 Day Week Trial) करेंगी. 100:80:100 मॉडल के तहत स्टाफ को 80 फीसदी वर्किंग टाइम के लिए 100 फीसदी सैलरी (100% salary) दी जाएगी, ताकि वो 100 प्रतिशत उत्पादकता बनाए रखने के लिए प्रेरित हो सके.
इस पायलट प्रोजेक्ट का ट्रायल (pilot project trial) 4 डे वीक ग्लोबल, थिंक टैंक ऑटोनॉमी और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी बोस्टन कॉलेज के रिसर्चर्स की साझेदारी में किया जा रहा है. ‘द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, यूके का पायलट प्रोजेक्ट 4 डे वीक ग्लोबल द्वारा चलाए जा रहे समान कार्यक्रमों के समानांतर चलेगा. 4 डे वीक ग्लोबल के प्रोग्राम इस साल यूएसए, आयरलैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी चलाए जा रहे हैं. एक बयान के अनुसार, स्कॉटलैंड और स्पेन की सरकारों ने भी चार दिवसीय सप्ताह का परीक्षण शुरू किया है.
1930 से ही छिड़ी है काम के घंटे कम करने की बहस
हफ्ते में काम के दिन घटा देने का आइडिया नया नहीं है. यह 1930 की आर्थिक मंदी के दौरान ही शुरू हो गया था, जब हफ्ते में 5 दिन यानी 40 घंटे काम का मॉडल अपनाया गया था. 1920-30 के दशक में ही फोर्ड कंपनी के मालिक हेनरी फोर्ड ने भी काम के घंटों को घटाया था.
जर्मनी ने ‘कूजरबेट’ नाम से शुरू की थी योजना
2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान, जर्मनी ने ‘कूजरबेट’ नाम की थोड़े समय के काम की योजना चलाई थी. इसके तहत कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के बजाय उनके काम के घंटे घटा दिए गए थे. पिछले साल ब्रिटेन में आम चुनावों के दौरान वहां की लेबर पार्टी ने अगले 10 सालों में बिना किसी सैलरी कट के हफ्ते में 4 दिन या 32 घंटे के काम की व्यवस्था करने का वादा किया था.
माइक्रोसॉफ्ट ने जापान में चालू किया था प्रोजेक्ट
वहीं, माइक्रोसॉफ्ट ने 2019 में अपने जापान ऑफिस में प्रयोग के तौर पर हफ्ते में चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी देनी शुरू की. फ्रांस की कुछ कंपनियों ने भी इस मॉडल को अपनाया. न्यूजीलैंड की कंपनी परपेचुअल गार्डियन भी हफ्ते में चार दिन काम का प्रयोग कर रही है, जिस पर न्यूजीलैंड सरकार करीब से नजर रख रही है. अगर ये मॉडल सफल रहता है, तो इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा.
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