नई दिल्ली (New Delhi)। देश की अदालतों (Country’s Courts) में 4.47 करोड़ मामले (4 lakh 47 crore cases pending ) लंबित हैं। 25 हाईकोर्ट (25 High Court) में से इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) 10.74 लाख मामलों के साथ सबसे आगे है। इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) में 7.13 लाख और राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) में 6.67 लाख मामले लंबित हैं। राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) के ताजा आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।
2018 के बाद से लंबित मामलों की संख्या में बढ़ी है। उदाहरण के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित मामलों में 50.95 फीसदी की वृद्धि हुई। इसी तरह बॉम्बे हाईकोर्ट में लंबित मामलों में 53.85 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
बॉम्बे हाईकोर्ट में 7.13 लाख
सभी उच्च न्यायालयों में कुल 62 लाख मामले लंबित हैं, इनमें 71.6 प्रतिशत मामले दीवानी और 28.4 प्रतिशत आपराधिक मुकदमे हैं। 2018 के बाद से इन अदालतों में लंबित मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है। 24.83 प्रतिशत मामले 5-10 वर्ष पुराने, 24.83 फीसदी मामले 5-10 वर्षों से और 18.25 प्रतिशत मामले 10-20 वर्षों से लंबित हैं।
न्यायाधीशों की अपर्याप्त संख्या भी एक कारण
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लंबित मामलों का एक कारण न्यायाधीशों की अपर्याप्त संख्या हो सकती है। मई 2022 तक, लगभग 25,600 न्यायाधीशों को 4 करोड़ से अधिक लंबित मामलों की सुनवाई या निर्णय लेने का काम सौंपा गया।
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