80 बालक और 297 बालिकाएं लापता, आज तक नहीं मिला सुराग
इन्दौर। शहर (City) में पिछले दस साल में यूं तो हजारों बालक-बालिकाएं गुम हुए, लेकिन ज्यादातर वापस मिल गए। मगर दस साल में 370 बालक-बालिकाओं का आज तक पता नहीं चला। इनमें 290 बालिकाएं (Girls) और 80 बालक (Boys) हैं। पुलिस (Police) इनकी तलाश कर रही है।
इस साल के चार माह में शहर से 40 बालक (Boys) और 297 बालिकाएं (Girls) लापता हुईं, जिनमें से 10 बालकों का अब तक पता नहीं लगा है, जबकि 88 बालिकाएं नहीं मिलीं। कुल 98 नाबालिग गायब हैं। पुलिस रिकॉर्ड (Police Records) के अनुसार शहर में हर साल एक हजार के आसपास बालक-बालिकाएं गुम होते हैं, लेकिन इनमें से लगभग 950 वापस मिल जाते हैं। कुछ को पुलिस (Police) ढूंढ निकालती है तो कुछ खुद ही घर आ जाते हैं। इस हिसाब से हर माह 70 से 80 बच्चे गुम होते हैं। दस साल के रिकॉर्ड की बात की जाए तो गुम बच्चों में सबसे अधिक 16 से 17 साल की बच्चियां होती हैं। इनमें से ज्यादातर शादी कर वापस आ जाती हैं।
इनाम रखते और दूसरे राज्यों में भेजते हैं टीम : पुलिस कमिश्नर
पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र (Harinarayanchari Mishra) का कहना है कि दस साल से 370 से अधिक बच्चे लापता हैं। इनको ढूंढने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। हर साल मुस्कान और विशेष अभियान चलाया जाता है। गत वर्षों में मुस्कान अभियान में तीन सौ से अधिक बच्चों की जानकारी मिल गई थी। बच्चों के मिलने पर परिवार के लोग थाने को सूचना नहीं देते हैं, जिसके चलते आंकड़ा बढ़ जाता है। पुलिस (Police) बच्चों को ढूंढने के लिए पोस्टर लगाती है। दूसरे राज्यों में टीमें भेजी जाती हैं और कई मामलों में इनाम भी घोषित किया है।
सुप्रीम कोर्ट करती है निगरानी
पुलिस (Police) सूत्रों के अनुसार 2012 में सुप्रीम कोर्ट में एक रिट लगी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में लापता हुए बच्चों को ढूंढने का काम किया जाता है। देश स्तर पर एक पोर्टल बनाया गया है, जिसमें देशभर में गुम हुए बच्चों का रिकॉर्ड होता है। एडीजी स्तर का अधिकारी इसकी निगरानी करता है और आंकड़े एनसीबी को दिए जाते हैं। 2012 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इंदौर में गुम बच्चों के मामले में 500 से अधिक एफआईआर दर्ज हुई थीं। अब अपहरण की धारा 363 और 366 आईपीसी के तहत केस दर्ज होता है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved