भोपाल। प्रदेश की 37 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है। नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार मध्य प्रदेश की 37 फीसदी आबादी गरीब है। यानी प्रदेश के करीब ढाई करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। गरीब राज्यों में मध्य प्रदेश चौथे स्थान पर है। पहले नंबर पर बिहार (52 फीसदी) है, जबकि दूसरे और तीसरे नंबर पर झारखंड (42 फीसदी) और उप्र में (38 फीसदी) देश के सबसे गरीब राज्यों के रूप में सामने आए हैं।
नीति आयोग का पहला मल्टी-डाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स जारी किया गया है। इसके मुताबिक गरीबी के मामले में जो पांच राज्य टॉप पर हैं, उनमें से चार बीजेपी शासित हैं। मप्र में भी साल 2003 से भाजपा की सरकार है। मप्र में अलीराजपुर में सबसे अधिक 71 फीसदी आबादी गरीब है। झाबुआ में 69 फीसदी आबादी गरीब है। बड़वानी में 62 फीसदी लोग गरीब हैं। ये इलाके कुपोषण के भी शिकार हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का सबसे कम साक्षर जिला अलीराजपुर समग्र विकास के वादे के साथ 17 मई 2008 को झाबुआ से अलग जिला बनाया गया था। गठन के 13 साल बाद भी यह मप्र का सबसे गरीब जिला है।
सबसे कम गरीबी केरल में
देश में सबसे कम गरीबी केरल (0.71फीसदी) में है। इसी तरह, गोवा व सिक्किम (4फीसदी), तमिलनाडु (5 फीसदी) और पंजाब (6फीसदी) पूरे देश में सबसे कम गरीब लोग वाले राज्य हैं। ये सूचकांक में सबसे नीचे हैं।
रिपोर्ट का आधार ये 3 मानक
भारत के एमपीआई के तीन मानक हैं, स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर-जो पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, प्रसवपूर्व देखभाल, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता, पीने के 12 संकेतकों द्वारा दर्शाए जाते हैं। पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते भी इसमें शामिल हैं। रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के सभी जिलों में 40फीसदी से अधिक आबादी गरीबी की मार झेल रही है।
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