रामेश्वर धाकड़, भोपाल
प्रदेश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच छोटे शहरों के गंभीर मरीजों के इलाज का दबाव बड़े शहरों पर पड़ रहा है। ऐसे में सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत पंजीकृत सभी निजी अस्पतालों को 20 फीसदी बैड आरक्षित रखने को कहा है। निजी अस्पतालों ने कोरोना मरीजों के लिए किराए के भवन ले रखे हैं। जिससे कोरोना मरीज अस्पताल में न आएं। इसके बावजूद भी राजधानी में कोरोना संक्रमितों के लिए बैड कम पडऩे लगे हैं। ऐेसे सरकार चाहे तो भोपाल के विशनखेड़ी में 50 एकड़ में फैले 200 कमरे, 80 हॉल के भवन को 3600 बैठ का प्रदेश का सबसे बड़ा कोविड सेंटर बना सकती है। यह भवन माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि का नया भवन है, जो बनकर तैयार है, लेकिन कोविड की वजह से यह भवन यूनिवर्सिटी को हैंडओवर नहीं हुआ है।
विशनखेड़ी में पत्रकारिता यूनिवर्सिटी का जो भवन है, वह पूरी तरह से तैयार है। यदि इसे कोविड सेंटर बनाया जाता है तो सिर्फ सरकार को डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, ऑक्सीजन एवं अन्य चिकित्सीय सामग्री ले जानी पड़ेगी। जबकि भवन के हॉल, कमरे पूरी तरह से फर्निशस्ड हैं। पंखा, कूलर, ऐसी की व्यवस्था है। यूनिवर्सिटी भवन में 80 हॉल हैं, एक हॉल की क्षमता 40 बैठ की है। जबकि एक कमरे में 2 से 3 बैड की क्षमता है। ये छात्रों के हॉस्टल के कमरे हैं। निजी अस्पतालों के सामने समस्या यह है कि यदि वे शासन के आदेशानुसान कोरोना संक्रमितों का इलाज अस्पताल में करते हैं तो सामान्य मरीज उनके यहां नहीं आते हैं। इसलिए उन्होंने अस्पताल की बैड क्षमता के अनुसार किराए के भवन ले रखे हैं। साथ ही कोविड मरीजों के इलाज पर अस्पतालों के आसपास के लोगों को भी आपत्ति है।
भवन के पास कोई बस्ती नहीं
यूनिवर्सिटी भवन राजधानी के न्यू मार्केट से 15 मिनट की दूरी पर है। आसपास कोई बस्ती नहीं है। चिकित्सा छोड़कर अन्य सभी सुविधाएं है। कैंपस में हरियाली, खेल मैदान भी है। यदि सरकार इस यूनिवर्सिटी भवन को कोविड सेंटर बनाती है तो बेहतर विकल्प हो सकता है।
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