भोपाल। इस बार 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में 2018 के विधानसभा चुनाव की तुलना में प्रत्याशियों की संख्या में कमी आई है। इस बार 355 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं, जबकि 2018 में 381 उम्मीदवार मैदान में थे। प्रदेश का सबसे बड़ा रण मेहगांव बनने जा रहा है। यहां से 38 उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं। वहीं, बदनावर और नेपानगर सहित कुछ सीटों पर आंकड़ा दहाई के अंक तक भी नहीं पहुंचा है। सोमवार को नाम वापसी की समय सीमा बीतते ही मुकाबले की तस्वीर साफ हो गई। जांच के बाद 74 प्रत्याशियों के पर्चे पहले ही खारिज किए जा चुके थे। 35 ने सोमवार को उम्मीदवारी वापस ले ली। अब 355 उम्मीदवार मैदान में हैं। इससे औसत प्रति सीट 13 उम्मीदवार से थोड़ा नीचे आया है। 109 ने वापस ली अपनी उम्मीदवारी। 2018 में मेहगांव विस सीट पर 34 उम्मीदवार थे। इस बार संख्या 38 है। अनूपपुर में भी 10 से बढ़कर 12 प्रत्याशी हो गए हैं। हालांकि कुछ अपवाद भी हैं, जहां इस बार संख्या घटी है। मसलन बदनावर में संख्या पहले से कम है।
छोटे-बड़े एक दर्जन से अधिक दल मैदान में
उपचुनाव में किस्मत आजमा रहे छोटे दलों के पास स्टार प्रचारकों का टोटा है। भाजपा, कांग्रेस, बसपा जैसे दलों ने तो 30-30 प्रचारकों के नाम चुनाव आयोग को दिए हैं, जबकि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, सपाक्स और शिवसेना जैसे दलों को स्टार प्रचारकों के तौर पर 30नेताओं के नाम ही नहीं मिले। इन्होंने आयोग को सौंपी सूची में 20 से ज्यादा नाम नहीं दिए हैं। वैसे तो 28 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, लेकिन छोटे दलों ने अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में प्रत्याशी उतारे हैं। दरअसल ये चुनाव में प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं। कुछ क्षेत्रों में इन छोटे दलों ने अन्य दलों की टेंशन बढ़ा दी है।
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