पटना: बिहार में साइबर क्राइम की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए आर्थिक अपराध इकाई एक्शन मोड में है. इओयू (EOU) यानी आर्थिक अपराध इकाई ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 3500 सिम कार्ड को ब्लॉक कर दिया है. यह सभी सिम कार्ड ठगी के लिए यूज किए जा रहे थे. सामान्य ठगी, ऑनलाइन ठगी समेत अन्य अपराध में इनका धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा था. केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय से आर्थिक अपराध इकाई द्वारा विशेष अनुरोध कर सिम कार्ड सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों के माध्यम से स्थाई तौर पर इन सभी सिम कार्ड को बंद करवाया गया है.
आर्थिक अपराध इकाई की जांच के क्रम में पिछले कुछ महीनों के दौरान लगभग 8000 सिमकार्ड चिन्हित किए गए थे. इनमें 3500 को ब्लॉक कराया गया है जबकि अन्य 4500 कार्ड को भी ब्लॉक करने के लिए केंद्र और संबंधित कंपनियों को पत्र लिखा गया है. इसकी प्रक्रिया फिलहाल जारी है. यह सभी सिम कार्ड साइबर अपराध में उपयोग में लाए जा रहे थे. इनमें कई मोबाइल नंबरों का उपयोग दूसरे राज्यों में ठगी के गैंग का संचालन करने के लिए किया जा रहा था.
जांच में इस बात की भी जानकारी मिली है कि सिम कार्ड वास्तविक नाम और पते की बजाय फर्जी नाम और एड्रेस के आधार पर लिए गए थे. कुछ लोगों के बगैर जानकारी के उनके आधारकार्ड का उपयोग करके सिम कार्ड खरीद लिए गए थे. दूसरे राज्यों के भी कुछ एक पहचान पत्र का उपयोग करके सिम खरीद कर साइबर अपराध में उसका धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा था. आर्थिक अपराध इकाई द्वारा सभी मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों और सिमकार्ड बेचने वाले विक्रेताओं को आगाह किया गया है.
ऐसे सभी लोगों को सख्त हिदायत दी गई है कि वे किसी को सिम देने से पहले उनकी आईडी की पड़ताल गहराई से कर लें. आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी नैयर हसनैन खान ने 3500 सिम कार्ड बंद करवाने के बारे में कहा है कि इसके अलावा भी सिमकार्ड बंद करवाने की प्रक्रिया चल रही है. उन्होंने उम्मीद जताई कि सिम कार्ड बंद करने से साइबर क्राइम नेटवर्क को रोकने में बड़ी मदद मिलेगी.
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