इंदौर। भारत सरकार द्वारा इंदौर जिले में भिक्षुकमुक्त इंदौर प्रकल्प का पायलट प्रोजेक्ट 2020 से चलाया जा रहा है। नगर निगम को इसकी नोडल एजेंसी बनाया गया है, लेकिन इसके बावजूद शहर की सडक़ों पर 6000 से अधिक भिक्षुक विभिन्न चौराहों पर भीख मांग रहे हैं, जिनमें लगभग 3500 बच्चे हैं।
इंदौर की सडक़ों पर 3500 से अधिक बच्चे विभिन्न चौराहों पर भिक्षावृत्ति कर रहे हैं। पेन, पेंसिल, किताबें बेचने के नाम पर भीख मांगने का तरीका बदल गया है और दिन-ब-दिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। कलेक्टर द्वारा कराए गए सर्वे के अनुसार शहर में 3500 बच्चों सहित लगभग 6000 से अधिक लोग भिखारी हैं। इसे ध्यान में रखते हुए कलेक्टर आशीष सिंह ने 15 दिन की कार्ययोजना तैयार कर शहर को भिक्षुकमुक्त करने का बीड़ा उठाया है। उनके अनुसार नगर निगम, स्मार्ट सिटी, चाइल्ड लाइन, श्रम विभाग और सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के माध्यम से शहर में एक बार फिर अभियान छेड़ा जाएगा। अगले 15 दिनों की कार्ययोजना बनाकर बच्चों को भिक्षा छुड़ाकर शिक्षा से जोडऩे की रणनीति तैयार की गई है।
आज से छिड़ेगा अभियान
कलेक्टर आशीष सिंह के अनुसार 15 दिन की कार्ययोजना बनाकर चौराहों पर धरपकड़ अभियान छेड़ा जाएगा। महिला एवंबाल विकास के अंतर्गत आने वाली संस्थाओं में इन बच्चों को प्रवेश दिलाया जाएगा। लंबे समय से माता-पिता के भी बच्चों से भिक्षावृत्ति कराने में लिप्त होने के मामले सामने आते रहे हैं। बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश होने के बाद बच्चों को माता-पिता के सुपुर्द कर दिया जाता है। इस पर अब लगाम लगेगी और माता-पिता के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की जाएगी।
सरकारी प्रोजेक्ट केवल 50 भिखारियों के लिए
भारत सरकार द्वारा संचालित किए जा रहे स्माइल प्रोजेक्ट में केवल 50 भिक्षुकों के लिए ही प्रावधान है। नगर निगम के माध्यम से संस्था प्रवेश अब तक भिक्षुकों के लिए अभियान चला रही थी। प्रोजेक्ट की संचालक रूपाली जैन के अनुसार अभी तक 1600 से अधिक भिक्षुकों का पुनर्वास कराया जा चुका है। वर्तमान में 70 भिक्षुक संस्था में प्रशिक्षण ले रहे हैं। पूर्व में यह अभियान प्रशासन के माध्यम से संचालित होता आया है, लेकिन नगर निगम नोडल एजेंसी होकर इस अभियान को चला रहा है।
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